हरियाणा SGPC के मुख्यालय में अलग-अलग दिखा झींडा और दादूवाल धड़ा, दोनों ने अलग-अलग की प्रेसवार्ता
कुरुक्षेत्र में हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी में अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा और बलजीत सिंह दादूवाल के गुटों में दरार दिखी। दोनों गुटों ने अलग-अलग प्रेस वार्ताएं कीं। दादूवाल ने मीरी-पीरी संस्थान की सेवा संभालने की बात कही वहीं झींडा 1984 के अत्याचारों को याद कर काली पट्टी बांधे दिखे।

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र। हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (एचएसजीएमसी) के नवनियुक्त अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा और धर्म प्रचार कमेटी के चेयरमैन बलजीत सिंह दादूवाल के धड़े में धड़ेबाजी बरकरार है। शुक्रवार को दोनों ही धड़ों ने शुक्रवार को मुख्यालय में एक ही समय में अलग-अलग पत्रकारवार्ता बुलाई।
अलग-अलग पत्रकारवार्ता बुलाए जाने के सवाल पर जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल ने कहा कि उन्होंने सुबह ही पत्रकारवार्ता बुला ली थी, उस समय उन्हें जानकारी नहीं थी कि प्रधान भी मुख्यालय पहुंचेंगे। एचएसजीएमसी कार्यकारिणी के चुनाव में दोनों धड़े एकजुट थे।
अब इनके अलग-अलग दिखाई देने से कई तरह की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी हैं। दादूवाल ने मीरी-पीरी संस्थान की सेवा संभालने को लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात करने की बात कही, वहीं अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा इस सवाल के जवाब में चुप रहे।
दादूवाल बोले, मीरी-पीरी संस्थान की सेवा जरूर संभालेगी
हरियाणा कमेटी एचएसजीएमसी के पूर्व अध्यक्ष एवं सदस्य जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल ने छह जून का दिन छोटा घल्लूघारा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि मीरी-पीरी अस्पताल को लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) पदाधिकारियों का बयानबाजी करना अनुचित है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले अनुसार प्रदेश में जितनी भी चल अचल संपत्ति एसजीपीसी की है, उस पर हरियाणा कमेटी का अधिकार है और मीरी-पीरी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल गुरुद्वारा श्री मस्तगढ़ शाहाबाद की भूमि पर बना है, इसे एक प्राइवेट ट्रस्ट बनाकर चलाया जा रहा है। कानूनी अड़चन के चलते इसकी सेवा संभाल में देरी हो रही है, जल्द ही इसकी सेवा संभाली जाएगी।
1984 में सिखों पर अत्याचार को लेकर बांधी काली पट्टी
नवनियुक्त अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा ने कहा कि वह गुरुद्वारा छठी पातशाही में धन-धन साहिब गुरु हरगोबिंद साहिब महाराज के प्रकाश पर्व पर आयोजित सात दिवसीय समागम में पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि 1984 में सिखों पर हुए अत्याचार को याद कर शुक्रवार को सिखों ने काली पट्टी और काले रंग की दस्तार बांधी है।
उन्होंने कहा कि छह जून 1984 को अमृतसर में हरमंदिर साहिब पर तत्कालीन सरकार के आदेश पर कार्रवाई की गई थी। उन्होंने जरनैल सिंह भिंडरांवाला सहित अन्य को संत और शहीद बताते हुए उन्हें याद रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि खालसा पंथ हमेशा से चढ़दी कलां में रहा है और सदैव रहेगा।
उन्होंने कहा कि जो मिसाल सिख पंथ में मिलती है, वह कहीं भी नहीं मिलती। सिख पंथ अपने गुरु साहिबान के नक्शेकदम पर चल रहा है। इस अवसर पर कार्यकारिणी सदस्य करनैल सिंह निम्नाबाद व कार्यालय पीए सतपाल सिंह डाचर मौजूद रहे।
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