पगड़ी सिख के लिए जरूरी है या नहीं के सवाल पर गृह मंत्रालय को पत्र लिखेंगे : झींडा
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक मामले सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक मामले की सुनवाई करते हुए सिखों के लिए पगड़ी जरूरी है या नहीं के बारे में पूछे जाने पर हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने केंद्र सरकार से इस मामले में पैरवी करने की मांग की है। एचएसजीपीसी अध्यक्ष जगदीश ¨सह झींडा ने इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखने की बात कही है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक मामले की सुनवाई करते हुए सिखों के लिए पगड़ी जरूरी है या नहीं के बारे में पूछे जाने पर हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने केंद्र सरकार से इस मामले में पैरवी करने की मांग की है। एचएसजीपीसी अध्यक्ष जगदीश ¨सह झींडा ने इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखने की बात कही है। कुरुक्षेत्र के डेरा कार सेवा में रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पगड़ी एक सिख की पहचान है। अगर युद्ध के समय में सिख पगड़ी पहन सकता है तो खेल में हिस्सा लेते समय भी पगड़ी पहन सकता है।
उन्होंने कहा कि अगर अच्छी तरह से पैरवी ना करने पर कोई ऐसा फैसला आता है जिससे सिखों की भावना आहत होती है तो लॉ एंड आर्डर की स्थिति पैदा हो सकती है। इस मामले में समय से उचित पैरवी करनी जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि वह इसके लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी श्री अमृतसर और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को भी पैरवी के लिए पत्र लिखेंगे। उन्होंने बताया कि एक केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या सिख के लिए पगड़ी जरूरी है? इस बात पर झींडा ने कहा है कि पगड़ी एक सिख की पहचान है। इस सवाल का जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को भी चाहिए वह आगे आए और स्थिति स्पष्ट करते हुए बताए कि सिखों के लिए पगड़ी जरूरी है। अभी अदालत ने इस मामले में फैसला नहीं दिया है। इसलिए जरूरी है कि फैसला आने से पहले ही इसमें उचित पैरवी की जाए। इसके साथ-साथ एसजीपीसी, डीएसजीपीसी भी इस मामले पर अपनी ओर से पैरवी करवाए। इन संगठनों के लिए जरूरी है कि वह अदालत में सही जवाब दायर करें और बताएं कि पगड़ी सिख की पहचान है। ज्ञात रहे कि अदालत ने यह सवाल साइकिल एसोसिएशन द्वारा पगड़ी पहनकर खेलों में हिस्सा लेने के मामले पर सुनवाई करते हुए पूछा है। इस मौके पर एचएसजीपीसी सदस्य अपार ¨सह, बलवंत ¨सह फौजी, मुख्त्यार ¨सह, स्वर्ण ¨सह, सुखदेव ¨सह, जोगा ¨सह व बलदेव ¨सह गोराया उपस्थित रहे।