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    Haryana News: KU के सहायक प्रोफेसर को हाई कोर्ट से राहत, अपील लंबित रहने तक सेवा में बने रहने के दिए आदेश

    Haryana News कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर को हाई कोर्ट ने राहत दी है। हरियाणा सरकार और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी को नोटिस कर हाई कोर्ट ने जवाब मांगा है। वहीं सहायक प्रोफेसर की अपील लंबित रहते उन्हें सेवा में बनाए रखने का भी आदेश दिया है। मुस्लिम धर्म में अनुसूचित जाति आरक्षण को अवैध बताते हुए हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने उनकी नियुक्ति को रद कर दिया था।

    By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Mon, 21 Aug 2023 04:03 PM (IST)
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    KU के सहायक प्रोफेसर को हाई कोर्ट से राहत, अपील लंबित रहने तक सेवा में बने रहने के दिए आदेश

    चंडीगढ़/कुरुक्षेत्र, राज्य ब्यूरो: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ अपील पर हरियाणा सरकार व कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके साथ ही उनकी अपील लंबित रहते उन्हें सेवा में बनाए रखने का भी आदेश दिया है। मुस्लिम धर्म में अनुसूचित जाति आरक्षण को अवैध बताते हुए हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने उनकी नियुक्ति को रद कर दिया था।

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    जुलाई 2017 के फैसले को दी चुनौती

    याचिका दाखिल करते हुए कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर आबिद अली ने उन्हें बर्खास्त करने के 28 जुलाई 2017 के फैसले को चुनौती दी थी। याचिका में बताया गया कि उसे 2 जुलाई 2007 को नियुक्ति दी गई थी। इसके बाद 2012 में कृष्ण कुमार ने यूनिवर्सिटी को शिकायत दी थी जिसके आधार पर जांच आरंभ हुई।

    यूनिवर्सिटी ने बनाई जांच कमेटी

    जांच के दौरान करनाल के डीसी ने जांच में पाया कि जो एससी सर्टिफिकेट याची ने नियुक्ति के लिए आवेदन करते हुए दिया था वह उनके पास पंजीकृत नहीं है। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने जांच कमेटी बनाई और आखिरकार याची को बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा था कि याची ने आवेदन पत्र में अपनी जाति एससी ए दर्ज की थी।

    याची को एससी उम्मीदवार दिखाया

    इंटरव्यू के समय भी जो सूची तैयार हुई थी उसमें याची को एससी उम्मीदवार दिखाया गया था। ऐसे में याची इस बात से मुकर नहीं सकता कि उसने एससी श्रेणी में आवेदन किया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि यदि यह मान भी लिया जाए कि याची ने कोई फ्राड नहीं किया है और उसका एससी प्रमाणपत्र भी अथारिटी ने जारी किया तो भी यह वैध नहीं हो सकता। मुस्लिम व्यक्ति को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी ही नहीं किया जा सकता।

    सरकारी आवास खाली करने को भी कहा था

    ऐसे में याची की नियुक्ति सही नहीं थी और याचिकाकर्ता को सेवा में बने रहने का कोई हक नहीं है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए उसे दो माह के भीतर सरकारी आवास को भी खाली करने का आदेश दिया था। सिंगल बेंच के फैसले को अब उन्होंने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार व कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

    सिंगल बेंच ने उनकी याचिका पर नोटिस जारी करते हुए उन्हें सेवा में बनाए रखने का आदेश दिया था जो याचिका खारिज होने के साथ ही रद हो गया था। खंडपीठ ने अब उसी अंतरिम आदेश को याचिका लंबित रहते जारी रखने का आदेश दिया है।