राज्यपाल ने उठाए शिक्षा नीति पर सवाल, कहा- यह हमारे अनुकूल नहीं
हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने देश की मौजूदा शिक्षा नीति पा जमकर सवाल उठाए और इसे देश के अनुकूल नहीं बताया।
जेएनएन, कुरुक्षेत्र। हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने देश की शिक्षा नीति पर सवाल उठाए हैं। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित स्वर्ण जयंती व्याख्यान शृंखला के उद्घाटन पर राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में मौजूदा शिक्षा नीति पर हमारे अनुकूल नहीं है और इससे हमें समचित लाभ नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद के लगभग 70 वर्षों में हम वह नहीं कर पाए जो हमें करना चाहिए था और कर सकते थे। आज भी वही शिक्षा नीति चल रही है जो 1925 में लार्ड मैकाले ने शुरू की थी। इसे बदले जाने की जरूरत है। ऐसी शिक्षा नीति लानी चाहिए जो भारत के अनुकूल हो।
कहा, लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति बदले जाने की जरूरत
राज्यपाल ने कहा कि लार्ड मैकाले ने भारत में अंग्रेजी शिक्षा नीति को लागू कर अपने पिता को जो पत्र लिखा था उससे उनकी नीयत साफ हे गई थी। पत्र में मैकाले ने कहा था, मैं भारत में ऐसी शिक्षा नीति लागू कर रहा हूं जिसे पाने के बाद यहां का नागरिक देखने में तो हिंदुस्तानी लगेगा, लेकिन होगा इंग्लिशतानी।
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प्रो. सोलंकी ने कहा कि आज हम हरियाणा की स्वर्ण जयंती मना रहे हैं। अब हमें यह सोचना है कि इन 50 वर्षों में हमने क्या पाया और क्या पाना चाहते थे। इनमें से हम क्या नहीं पा सके। ऐसे सवालों के जवाब हमें तलाशने हैं। उन्होंने शिक्षकों को नसीहत दी कि वे बच्चों को संस्कारित शिक्षा प्रदान करें। अब हमें अपनी संस्कृति और समाज के अनुरूप शिक्षा को आगे बढ़ाना होगा।
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महात्मा गांधी भी चाहते थे शिक्षा नीति में परिवर्तन
राज्यपाल प्रो. सोलंकी व्यख्यान में 40 मिनट तक लगातार बोले। उन्होंने कहा कि हमारे देश में आजादी से पहले लागू की गई शिक्षा नीति को वीर सावरकर और स्वयं महात्मा गांधी भी बदलना चाहते थे। उन्होंने कहा कि आजादी के डेढ़ दशक बाद सावरकर जी की मृत्यु हुई। उन्होंने बीमार होने के बाद दवाई लेना बंद कर दिया था। उनसे पूछा गया कि वह दवाई क्यों नहीं ले रहे हैं तो उन्होंने कहा कि आजाद भारत में हम जो चाहते थे वह हमें नहीं मिला और अब हम इस वायु में सांस नहीं ले पा रहे हैं।
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