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    सवा पांच लाख आहुतियों के साथ मां बगलामुखी महायज्ञ संपन्न

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 15 Feb 2022 11:30 PM (IST)

    गांव धनीरामपुरा में पांच दिवसीय 25वां मां बगलामुखी महायज्ञ सवा पांच लाख आहुतियों के साथ संपन्न हो गया। यज्ञाचार्य डा. अभिषेक कुश के मार्गदर्शन में 41 ब्राह्मणों पूरे विधि-विधान के साथ पूर्णाहुति डलवाई। समापन अवसर पर संत समागम हुआ जिसमें संत महात्माओं ने प्रवचन दिए।

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    सवा पांच लाख आहुतियों के साथ मां बगलामुखी महायज्ञ संपन्न

    -संत समागम में पहुंचे संत, दिए प्रवचन

    -भोजन छोड़ दोगे तो जिदा नहीं रहोगे और भजन छोड़ दोगे तो कहीं के नहीं रहोगे : महामंडलेश्वर विद्या गिरी संवाद सूत्र, पिहोवा : गांव धनीरामपुरा में पांच दिवसीय 25वां मां बगलामुखी महायज्ञ सवा पांच लाख आहुतियों के साथ संपन्न हो गया। यज्ञाचार्य डा. अभिषेक कुश के मार्गदर्शन में 41 ब्राह्मणों पूरे विधि-विधान के साथ पूर्णाहुति डलवाई। समापन अवसर पर संत समागम हुआ, जिसमें संत, महात्माओं ने प्रवचन दिए। इसके बाद सैकड़ों कन्याओं का पूजन किया गया और विशाला भंडारा भी हुआ। महायज्ञ में सुरेंद्र पहलवान इशहाक, मनीष कौशिक काला अंब, राजू शर्मा पिहोवा सहित हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, गुजरात, दिल्ली, उत्तराखंड से सैकड़ों श्रद्धालुओं ने यज्ञ में आहुतियां डाली। यज्ञशाला सहित पूरा पंडाल मां पीतांबरा के प्रिय पीले रंग में रंगा दिखाई दिया।

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    कार्यक्रम में पहुंची महामंडलेश्वर 1008 विद्या गिरी ने कहा कि जीवन में कैसा भी दु:ख और कष्ट आए पर भक्ति मत छोड़िए। कष्ट आता है तो क्या आप भोजन करना छोड़ देते हैं, क्या बीमारी आती है तो आप सांस लेना छोड़ देते हैं, नहीं ना, फिर जरा सी परेशानी आने पर आप भक्ति करना क्यों छोड़ देते हैं। सही तरीके से जीवनयापन के लिए भजन और भोजन दोनों की जरूरत है। भोजन छोड़ दोगे तो जिदा नहीं रहोगे और भजन छोड़ दोगे तो कहीं के नहीं रहोगे। मंदिर के महंत भीम पुरी ने कहा कि गांव धनीरामपुरा में हरियाणा, पंजाब व दिल्ली के मध्य स्थित मां बगलामुखी का यह एकमात्र सिद्धपीठ है। जिसे वैदिक मंत्रों व तांत्रिक विद्याओं द्वारा स्थापित किया गया था। मंदिर को भारतीय दक्षिण शैली में भव्य रूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के लिए किया गया यह महायज्ञ शत्रुओं पर विजय, मोक्ष की प्राप्ति असाध्य रोगों से मुक्ति एवं मनोकामना पूर्ण करने में यकीनन सिद्ध होगा। मां बगलामुखी के कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रिकाल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। श्रीसंगमेश्वर धाम के महंत विश्वनाथ गिरि ने कहा कि धर्म ग्रंथों के अनुसार, यज्ञ के माध्यम से हर मनोकामना पूरी हो सकती है। धन प्राप्ति, कर्मों के प्रायश्चित, अनिष्ट को रोकने के लिए, दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए, रोगों के निवारण के लिए भारतीय संस्कृति में यज्ञ करने का विधान देवताओं के समय से है। देवताओं को प्रसन्न करने और धन-धान्य की अधिक उपज आदि के लिए भी यज्ञ किए जाते हैं। मंदिर के प्रमुख सेवादार विकल चौबे, विपिन काहड़ा व अवतार वालिया ने आए हुए सभी मुख्यातिथियों, संत-महात्माओं व गणमान्य जनों का आभार व्यक्त किया।

    समागम में ये संत पहुंचे

    श्रीसंगमेश्वर धाम के महंत विश्वनाथ गिरी, षड्दर्शन साधु समाज के अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वर, महंत जगन्नाथ पुरी, स्वामी वेद पुरी, महंत वासुदेवानंद गिरी, महंत सर्वेश्वरी गिरी, षड्दर्शन साधु समाज के संगठन सचिव पंडित प्रमोद कौशिक, स्वामी स्वामी रोशन पुरी, बड़ा अखाड़ा के महंत महेश मुनि, विशाल दास, महंत चमन गिरी, महंत लाल गिरी, स्वामी खटवांग पुरी, महंत मनोहर गिरी, देवीशरण दास, स्वामी भूपेंद्र गिरी, महंत निर्भया गिरी, महंत कृष्ण पुरी, पूर्व मंत्री बलबीर सैनी, सुखबीर सैनी, सुरेश पाल राणा, आशीष चक्रपाणि, सेवादल प्रबंधक भूषण गौतम, जय नारायण शर्मा, पंडित भूधर गौतम संत समागम में पहुंचे।