Vat Savitri Puja 2023: वट सावित्री अमावस्या व शनि जयंती पर श्रद्धालुओं ने किया स्नान-दान, बना दुर्लभ संयोग
Vat Savitri Puja 2023 गीता की जन्म स्थली कुरुक्षेत्र में वट सावित्री अमावस्या को लेकर श्रद्धालुओं में बेहद उत्साह रहता है। इस बार वट सावित्री अमावस्या पर देव पितृ कार्य पीपल पूजन शनि जयंती का विशेष दुर्लभ संयोग बना। वट सावित्री अमावस्या को विवाहित स्त्रियां उपवास रखती हैं

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। वट सावित्री अमावस्या और शनि जयंती पर श्रद्धालु सुबह ही पवित्र सरोवरों पर पहुंच गए। श्रद्धालुओं ने सरोवरों में स्नान कर दान दिया। वहीं सरोवर के किनारे बैठ कर मंत्रोच्चारण किया। अमावस्या पर बहुत से श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मिक शांति के लिए पिंडदान किया। शुक्रवार को वट सावित्री अमावस्या और शनि जयंती पर दुर्लभ संयोग बना।
गीता की जन्म स्थली कुरुक्षेत्र में वट सावित्री अमावस्या को लेकर श्रद्धालुओं में बेहद उत्साह रहता है। इस बार वट सावित्री अमावस्या पर देव पितृ कार्य, पीपल पूजन, शनि जयंती का विशेष दुर्लभ संयोग बना। वट सावित्री अमावस्या को विवाहित स्त्रियां उपवास रखती हैं और बड़ के पेड़ की पूजा कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।
धर्मनगरी में हजारों वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश भी वट वृक्ष के नीचे छाया में ही दिया था। शुक्रताल में वेदव्यास ने भागवत की रचना भी बड़ के पेड़ की छाया में ही रची थी। वट के वृक्ष को अत्यंत चिरंजीवी वृक्ष कहा गया है। इसलिए वट सावित्री अमावस्या का विशेष महत्व है।
मंदिरों में हुआ शनि देव का पूजन
मंदिरों में शनि देव का पूजन हुआ। श्रद्धालुओं ने शनिदेव पर तिल, तेल से अभिषेक किया और शनि आरती की। शनि देव न्याय प्रिय देव हैं वे मनुष्य को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। मंदिरों में भंडारे लगाए गए।
मंदिरों व आश्रमों में हुआ सत्संग
अमावस्या पर विभिन्न मंदिरों व आश्रमों में सत्संग हुआ। श्रद्धालुओं ने पूजन कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। श्रद्धालु भगवान की भक्ति में लीन नजर आए।
क्यों होती है वट सावित्री की पूजा?
धार्मिक मान्यता है कि बरगद (वट) वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा,तने पर भगवान विष्णु व डालियों में भगवान शिव का वास होता है । बरगदाही अमावस्या के दिन सभी सुहागिने कच्चे सूत से ग्यारह बार परिक्रमा व पेंड़ पर धागा लपेट कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। बरगद के पेंड़ पर महिलाएं सुहाग का सामान यानी कि सिंदूर, दर्पण, मौली, काजल, मेहंदी, चूड़ी, माथे की बिंदी, हिंगुल, साड़ी, स्वर्णाभूषण आदि वस्तुऐं अर्पित कर पूजन करती हैं और बाद में उक्त सामाग्री को कन्या या पुरोहितों को दान देकर पति के ऊपर आने वाली अदृष्य बाधाओं को रोकने व लम्बी उम्र की कामना करती हैं ।
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