Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    CJI Surya Kant: जस्टिस सूर्यकांत की एक सलाह और हजारों डॉक्टरों के जीवन में भर गया उजाला, जानिए उस केस के बारे में

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 02:35 PM (IST)

    कुरुक्षेत्र से खबर है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत शर्मा की एक सलाह ने हरियाणा के कई चिकित्सकों के जीवन में उजाला भर दिया। अधिवक्ता के तौर पर उन्होंने डा. शैलेंद्र ममगाईं को स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में चयन न होने पर उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की सलाह दी। जिसके बाद साक्षात्कार की व्यवस्था समाप्त हुई और मैरिट के आधार पर प्रवेश शुरू हुआ। इससे प्रदेश के कई चिकित्सकों को लाभ मिला।

    Hero Image

    जस्टिस सूर्यकांत की एक सलाह से हजारों डॉक्टरों के जीवन में भर गया उजाला। फाइल फोटो

    विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र। कहते हैं कि सूर्य बड़े-छोटे का फर्क किए बिना अपना प्रकाश बराबर बांटता है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत शर्मा ने आज देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उनकी एक सलाह ने न केवल लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के परामर्शक-फिजिशियन डा. शैलेंद्र ममगाईं शैली के जीवन में नई रोशनी की किरण भरी, बल्कि प्रदेश के कई चिकित्सकों के जीवन में उजाला भर दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उस दौरान सूर्यकांत शर्मा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अधिवक्ता के तौर पर प्रेक्टिस कर रहे थे। डा. शैली ने जब सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में रहते हुए स्नातकोत्तर (एमडी-एमएस) की परीक्षा दी और उनका प्रदेश में तीसरा रैंक आया।

    इसके बावजूद साक्षात्कार की वजह से उनका चयन स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में नहीं हो पाया। हताशा में डा. शैली को देख उनके पिता डा. केशवानंद ममगाईं जब इसकी तह में गए तो पता चला कि बेटा स्नातकोत्तर परीक्षा में तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद किसी भी कोर्स में चयनित नहीं हो पाया।

    इसके बाद उन्होंने डा. शैली को हाई कोर्ट में प्रेक्टिस कर रहे अधिवक्ता सूर्यकांत शर्मा के पास सलाह के लिए भेजा। उन्होंने डा. शैली से न केवल बात की, बल्कि उन्हें कोई ऐसा दस्तावेज लेकर आने के लिए कहा, जिससे यह साबित हो सके कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रोस्पेक्टस प्रकाशित होने के बाद नियमों में किसी भी तरह का फेरबदल किया गया हो।

    इसी के आधार पर डा. शैली ने एक दस्तावेज दिखाया, जिसमें स्नातकोत्तर परीक्षा का परिणाम आने के बाद नियम बदले गए थे। दस्तावेज को देखने के बाद अधिवक्ता सूर्यकांत शर्मा ने डा. शैली को आश्वस्त कि उनका केस मजबूत है और उन्हें निश्चित ही न्याय मिलेगा।

    उनके इन शब्दों ने डा. शैली के मन की हताशा को दूर किया, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई सूची को चुनौती दी और केस जीत गए।

    1997 के बाद साक्षात्कार की व्यवस्था हुई समाप्त

    1997 से पहले हरियाणा की सेवाओं में कार्यरत चिकित्सकों के लिए पीजीआइ रोहतक में आरक्षित सीटों में लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार की व्यवस्था थी। मगर डा. शैली की याचिका के बाद इस नियम में बदलाव किया गया और साक्षात्कार को समाप्त करके परीक्षा में मैरिट के आधार पर प्रवेश शुरू हुआ।

    लोकनायक जयप्रकाश जिला नागरिक अस्पताल के हृदय एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. शैलेंद्र ममगाईं ने बताया कि यह न्यायाधीश सूर्यकांत शर्मा के मार्गदर्शन से ही संभव हो पाया था, जिससे आने वाले कई चिकित्सकों को उनकी मैरिट के आधार पर प्रवेश मिल सका।

    तीसरे रैंक पर आने के बाद भी नहीं मिला था प्रवेश

    दरअसल सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत चिकित्सकों को उच्च शिक्षा में आरक्षण प्राप्त है। इसके लिए एक लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाता है। पूर्व में भी ऐसा ही होता था, लेकिन साक्षात्कार की व्यवस्था के चलते कई मैरिट में आने वाले चिकित्सक इससे वंचित रह जाते थे।

    डा. शैली ने जब 1996 में 32वें रैंक पर आने के बाद दाखिला नहीं होने के चलते 1997 में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। मगर जब तीसरे स्थान पर आने के बाद भी दाखिला नहीं हुआ तो उन्होंने तत्कालीन प्रदेश सरकार के फैसले को न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसे उन्होंने गलत साबित करके दिखाया।

    उनकी दलीलों को देखते हुए इस केस में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश श्रीधरण और स्वतंत्र कुमार की डबल बैंच ने महज एक महीने में सरकारी सूची को निरस्त किया और प्रदेश सरकार को लिखित परीक्षा की मैरिट सूची के आधार पर प्रवेश देने के आदेश दिए।