Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन हुआ था मां दुर्गा का जन्म, जानें व्रत रखने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
नवरात्रि के नौ दिनों में माता की आराधना करने वालों की सुख शक्ति तेज बल आत्मविश्वास और ऊर्जा में वृद्धि होती है। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्र की काफी सारी मान्यताएं है। आइएं जानतें है नवरात्रि से जुड़ी कुछ मान्यताएं और नवरात्रि का व्रत रखने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: साल में चार बार नवरात्रि त्योहार मनाया जाता है। इसमें दो बार गुप्त नवरात्र होते हैं। 22 मार्च को चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्र की काफी सारी मान्यताएं है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का जन्म हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था, इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू वर्ष शुरू होता है। इसके अलावा कहा जाता है कि भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि में ही हुआ था, इसलिए धार्मिक दृष्टि से भी चैत्र नवरात्र का बहुत महत्व है।
अष्टमी और नवमी का खास महत्व
ज्योतिष विद्या केंद्र के संचालक अमित मौदगिल ने बताया कि 22 मार्च से 30 मार्च तक मां दुर्गा की भक्ति के पर्व चैत्र नवरात्रि की धूम रहेगी। नौ दिनों तक मां जगदंबा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। देवी दुर्गा तेज, शक्ति और सामथ्र्य की प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यता है कि नौ दिनों में माता की आराधना करने वालों के सुख, शक्ति, तेज, बल, आत्मविश्वास और ऊर्जा में वृद्धि होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली आदिमाया साधक अपने भक्तों के कष्ट दूर करने नवरात्रि के दिनों में पृथ्वी पर आती हैं। वैसे तो नवरात्रि के नौ दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन अष्टमी और नवमी का खास महत्व होता है।
नवरात्रि के पहले दिन करें घटस्थापना
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में माता का पाठ करने से देवी भगवती की खास कृपा मिलती है। मां दुर्गा को सुख, समृद्धि और धन की देवी माना जाता है। जो भक्त पूरी श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा करता हैं, उसे माता का खास आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि पर काफी शुभ योग बन रहा हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चैत्र नवरात्रि का दिन काफी खास है। इस दिन एक ही राशि में पांच-पांच ग्रहों की युति हो रही है, जिससे कई महायोग भी बन रहे हैं।
नवरात्रि व्रत रखने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
नवरात्रि का व्रत रखने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। दरअसल, चैत्र नवरात्रि के दौरान ऋतु की बदलाव होता है। इस दौरान मौसम बदलता है, जिसका असर सेहत पर पड़ता है। प्राचीन काल में भी ऋषि मुनि मौसम के बदलाव को समझते थे और वह नौ दिनों तक व्रत करते थे, ताकि मौसम का उनके शरीर पर कम प्रभाव पड़े।
इसलिए शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए नवरात्रि में उपवास किया जाता है और पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। व्रत रखकर अपने शरीर को कई तरह की बीमारियों से भी बचा सकते हैं। आयुर्वेद में भी उपवास के कई फायदे बताए गए हैं। इसके अनुसार व्रत रखने से व्यक्ति कम बीमार पड़ता है।
चैत्र नवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च 2023, बुधवार से हो रहा है। पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 को रात्रि 10:52 बजे से शुरू होगी जो अगले दिन यानी की 22 मार्च 2023 को रात्रि 08:20 बजे तक रहेगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 22 मार्च 2023 को प्रात:काल 06:23 से लेकर 07:32 बजे तक रहेगा।