केंद्र सरकार द्वारा कपास आयात शुल्क हटाने के फैसले से किसानों में नाराजगी है। भारतीय किसान यूनियन ने इस निर्णय का विरोध किया है। CCI ने कपास के दामों में कटौती की है। भाकियू ने 28 अगस्त को बैठक बुलाई है और समाधान न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने इस फैसले को टेक्सटाइल उद्योग को लाभ पहुंचाने वाला बताया है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र। केंद्र सरकार की ओर से कपास आयात पर 11 प्रतिशत शुल्क समाप्त करने के निर्णय से किसानों में आक्रोश फैल गया है। भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी ग्रुप) ने इस निर्णय पर कड़ा एतराज जताया है।
इस निर्णय के तुरंत बाद, काटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआइ) ने दो दिनों में कपास के दामों में 1100 रुपये प्रति कैंडी की कटौती कर दी है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए भाकियू ने 28 अगस्त को भिवानी में एक बैठक बुलाई है। यदि इस बैठक से पहले समाधान नहीं निकलता है, तो बड़े आंदोलन का भी एलान किया गया है।
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भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि यह निर्णय टेक्सटाइल उद्योग को लाभ पहुंचाने और अमेरिका के दबाव में लिया गया है। इसका खामियाजा भारत के कपास किसानों को भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा काटन निर्यातक है और अब भारतीय बाजार में अमेरिकी काटन की बाढ़ आएगी, जिससे घरेलू कीमतें और गिरेंगी। कपास की खेती में आ रही लगातार कमी कपास की खेती में लगातार कमी आ रही है।
वर्ष 2024-25 में आयात में 107 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसके कारण उत्पादन 390 लाख गांठ से घटकर 300 लाख गांठ पर आ गया है। खरीफ सीजन में कपास का रकबा 3.24 लाख हेक्टेयर घटा है। किसान और व्यापारी सीसीआइ से ऊंचे दामों पर खरीद कर स्टाक कर चुके हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान होगा।
भाकियू ने कपास पर आयात शुल्क तुरंत बहाल करने, कानूनी एमएसपी गारंटी लागू करने और कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक नीतियों की मांग की है।
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