ब्रह्मास्वरुप ब्रह्माचारी ने ब्रह्माचारियों को बताया वैदिक गणित का महत्व
जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मास्वरुप ब्रह्माचारी ने जयराम संस्थाओं के अंतर्गत संचालित श्रीजयराम संस्कृत महाविद्यालय के ब्रह्माचारियों को ग्रंथ पुराणों के अध्ययन के साथ गणित का महत्व बताते हुए कहा कि हमारे देश में गणित का प्रारंभ वैदिक काल से ही हो गया था। यही कारण है कि गणित के क्षेत्र में भारतवर्ष ने प्राचीन काल में पूरे विश्व का नेतृत्व किया है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मास्वरुप ब्रह्माचारी ने जयराम संस्थाओं के अंतर्गत संचालित श्रीजयराम संस्कृत महाविद्यालय के ब्रह्माचारियों को ग्रंथ पुराणों के अध्ययन के साथ गणित का महत्व बताते हुए कहा कि हमारे देश में गणित का प्रारंभ वैदिक काल से ही हो गया था। यही कारण है कि गणित के क्षेत्र में भारतवर्ष ने प्राचीन काल में पूरे विश्व का नेतृत्व किया है। उन्होंने ब्रह्माचारियों को उनके अध्ययन के साथ गणित का महत्व बताया कि वैदिक गणित से तो मनुष्य में तर्क शक्ति का विकास होता है। ब्रह्माचारी ने कहा कि अच्छे गणित के बिना गणना का कार्य असंभव है, तो वहीं अच्छी तर्कशक्ति के बिना मानसिक स्तर का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है। किसी आकृति में संख्या मैट्रिक्स के अंतर्गत प्रश्नों में कुछ संख्याएं किसी विशेष नियम के तहत व्यवस्थित होती हैं। यदि आपको नियम ज्ञात है तो ही लुप्त संख्या को ज्ञात कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि गणितीय संक्रियाएं एवं गणितीय ज्ञान से हम तर्कशक्ति परीक्षा में प्रयोग करते हैं। वैदिक गणित में शास्त्र, वेद, पुराणों, एवं ऋषि-मुनियों द्वारा गणित की गणना के सरल सूत्र बताए गए हैं, जिसकी पालना करने से गणित की गणनाओं को सरलता से हल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में गणित एवं तर्कशक्ति का विशेष महत्व है। इस अवसर पर श्रवण गुप्ता, कुलवंत सैनी, राजेंद्र सिघल, केके गर्ग, टेकसिंह लौहार माजरा, केके कौशिक, सुरेंद्र गुप्ता, खरैती लाल सिगला, ईश्वर गुप्ता, एसएन गुप्ता मौजूद रहे।