धर्मवीर ने पेश किया नरसिंह का भात
जागरण संवाद केंद्र, कुरुक्षेत्र :
विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर के सौजन्य से पाचाल धर्मशाला में हरियाणवी साग का आयोजन किया गया। इस सास्कृतिक आयोजन में दलीप सिंह पाचाल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज सिंह पाचाल ने की तथा मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर के कोर्डिनेटर वीरेद्र बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। श्री विश्वकर्मा पाचाल समाज सुधार सभा के सभी अधिकारी, कर्मचारी व समाज से जुडे़ लोगों ने कार्यक्रम का आनंद लिया।
भगाना निवासी धर्मवीर सिंह ने नरसिंह का भात साग पेश किया। साग की कहानी गुजरात की एक रियासत जूनागढ़ के नरसिंह सेठ की है, जो चार भाई थे। नरसिंह के पिता ने अपने चारों पुत्रों को 11-11 करोड़ रुपये की संपत्ति दी। नरसिंह बेहद कंजूस था। नरसिंह एक पैसा भी खर्च नहीं करता था। वह एक बार स्नान के लिए गंगा तट पर चल देता है, जहा कृष्ण भगवान पंडित का रूप धारण कर पहुंचते है और उससे दान मांगते है। नर सिंह उन्हें दान देने के बजाए घाट बदल कर कहीं और नहाने लग जाते है। वहा भी कृष्ण भगवान पहुच जाते है। नरसिंह कुछ देने के लिए आना-कानी करते है और बताते है कि मैं एक पाई दे सकता हू, लेकिन वो भी मेरे घर पहुचने पर ही मिल सकती है। पंडित बने श्रीकृष्ण एक पाई लेने के लिए नरसिंह के घर पहुंच जाते है। नरसिंह वहा भी आना कानी करते है। कहानी के अंत में श्री कृष्ण नर सिंह से खुश हो जाते है और नर सिंह भी अपना सब कुछ दान कर देता है। नरसिंह प्रभु मिलन के बाद जोगी हो जाता है। किंतु जब नरसिंह को अपनी बहन का भात भरने के लिए जाना होता है तो लोग बातें बनाते हैं कि अब नरसिंह अपनी बहन का भात कैसे भरेगा। किंतु जब नरसिंह भात भरने के लिए जाता है तो कृष्ण भगवान की कृपा से आसमान से सोने चादी की अशर्फिया बरसने लगती है। इस प्रकार नरसिंह का भात एक ऐसी लोक कथा है जिसे हरियाणा के सभी लोग जानते है। इस अवसर पर पाचाल समाज सभा के प्रधान कृष्ण चंद्र पाचाल, सचिव सोमदत्त आहू, सदस्य नाथू राम पाचाल, जयपाल पांचाल, जयंत पाचाल, विरखा राम उप प्रधान जागड़ा धर्मशाला सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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