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    भारतीय इतिहास के पुर्नलेखन व पुनर्निर्माण में पुरातात्विक सामग्री प्रमुख स्रोत : डॉ. ¨सह

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    Updated: Sat, 20 Feb 2016 06:29 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरात

    जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष डॉ. भगत ¨सह ने कहा कि आधुनिक युग में प्राचीन भारतीय इतिहास के पुर्नलेखन व पुनर्निर्माण में प्राचीन कालीन विभिन्न साहित्यिक ग्रंथ व पुरातात्विक सामग्री विशेषकर प्राचीन अभिलेख, प्राचीन सिक्के एवं प्राचीन स्मारक प्रमुख स्रोत हैं। जिनके सहयोग से आज इतिहास विषय को इस रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

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    डॉ. भगत ¨सह भगवान परशुराम कॉलेज के सभागार में भारतीय इतिहास के साहित्यिक एवं पुरातात्विक स्रोत विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अभिलेखों एवं सिक्कों पर अंकित लिपि एवं अंकनों के अध्ययन से इतिहास के निर्माण में क्या सहायता मिलती है, आज जो इतिहास हम पढ़ते हैं उसके लेखन में जो कठिनाइयां आती है।

    उन्हें दूर करने के लिए साहित्यिक व पुरातात्विक साक्ष्यों का तुलनात्मक अध्ययन करके इतिहास के उन युगों के इतिहास का पुर्ननिर्माण किया जा सकता है। जिनके विषय में पर्याप्त सामग्री नहीं मिलती। सैंधव सभ्यता की खोज पुरातत्व की एक महत्वपूर्ण खोज थी । इसके द्वारा विभिन्न टीलों के उत्खनन से एक विख्यात सभ्यता की खोज हुई, जिसके विषय में हमारे पास कोई साहित्यिक प्रमाण उपलब्ध नहीं थे ।

    डॉ. भगत ¨सह का स्वागत करते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. योगेश्वर जोशी ने छात्रों को बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में इतिहास के दो विभिन्न विभाग हैं, जिनमें प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में प्राचीन इतिहास का अध्ययन कराया जाता है, जबकि वि‌र्श्वविद्यालय परिसर स्थित इतिहास विभाग में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास का अध्ययन कराया जाता है। उन्होंने कहा कि इतिहास लेखन में विभिन्न स्त्रोतों का निष्पक्ष अवलोकन करके निरपेक्ष इतिहास प्रस्तुत किया जा सकता है। यह इतिहासकार के विवेक पर निर्भर करता है।

    उन्होंने छात्रों को बताया कि इतिहास विषय का महत्व ना कभी समाप्त हुआ था ना होगा, क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इतिहास से संबंधित जानकारी पूछी जाती है । जिस देश की युवा पीढ़ी अपने देश के प्राचीन इतिहास को भूल जाए वह देश और उसकी संस्कृति स्थायी नहीं रह सकती। व्याख्यान के अंत में इतिहास विभाग अध्यक्ष डॉ. मनोहर लाल जी ने व्याख्यानदाता डॉ. भगत ¨सह का धन्यवाद किया और बताया कि उनके बहुमूल्य व उपयोगी व्याख्यान से छात्र लाभान्वित हुए है । इस मौके पर प्रो. शीशपाल शर्मा, प्रो. कैलाश चन्द्र, डॉ. सुभाष चंद्र, डॉ. रणबीर ¨सह, प्रो. शोभा रानी, प्रो. प्रवीण शर्मा, डॉ. सतीश शर्मा आदि उपस्थित थे ।