अब सिर्फ नाम के रह जाएंगे मौलिक मुख्याध्यापक
सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र : प्रदेश शिक्षा विभाग ने दो वर्ष पूर्व प्रदेश भर में हजारों माध्यमिक विद्य
सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र :
प्रदेश शिक्षा विभाग ने दो वर्ष पूर्व प्रदेश भर में हजारों माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों को मिडल हेड यानि मौलिक मुख्याध्यापक का दर्जा तो दे दिया था, लेकिन अब तक आधे मुख्याध्यापकों को कोई शक्ति मिल पाई है और रही सही कसर इनका वर्क लोड देने में विभाग ने पूरी कर दी। मुख्याध्यपक के पद के अनुसार इन्हें वर्क लोड में भी कोई छूट नहीं मिल पाएगी। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने पिछले दिनों इसका पत्र जारी कर विभाग की मंशा को साफ भी कर दिया। अब शिक्षक संघों ने इस कार्रवाई पर आपत्ति दर्ज कराई है।
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2013 में शिक्षकों की मांग और टू टायर प्रणाली को लागू कर प्रदेश भर में लगभग 5548 पदों पर मौलिक मुख्याध्यापक के पदों पर शिक्षकों को पदोन्नत कर दिया था। इनमें से लगभग तीन हजार शिक्षक ऐसे थे जो उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत थे और उन्हें उन्हीं स्कूलों में पद भी दिए गए थे। क्योंकि इन स्कूलों में इन शिक्षकों से उपर एक और प्राचार्य या फिर मुख्याध्यापक था तो इनकी न तो कोई शक्ति दी गई और न ही कोई अन्य राहत। ये शिक्षक तभी से ही अपने अधिकारों की मांग भी कर रहे थे। जून में शिक्षा विभाग ने इन मुख्याध्यापकों की रही सही आस भी धो दी। विभाग ने सभी प्राचार्यों को पत्र भेज कर यह सुनिश्चित किया है कि मौलिक मुख्याध्यापकों को पूरा वर्कलोड प्रदान किया जाए।
माध्यमिक विद्यालयों में इनके समकक्षों को हैं सभी अधिकार
वहीं शिक्षा विभाग की दोगीली नीति के कारण इन्हीं मौलिक मुख्याध्यापकों के समकक्ष ऐसे मुख्याध्यापकों को सभी अधिकार हैं, जो इस समय माध्यिमक स्कूलों में कार्य कर रहे हैं। उनके पास मुख्याध्यापक की सभी शक्तियां भी हैं और उन्हें कम वर्क लोड लेने का अधिकार भी है, जबकि उच्च विद्यालयों में विभाग की ओर से इन शिक्षकों को भी अन्य शिक्षकों की तरह ही 39 पीरियड देने का फैसला किया है।
पद को समाप्त करने की साजिश कर रहा है विभाग
हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रमेश राणा और महासचिव का आरोप है कि शिक्षा विभाग ऐसा कर इस पद को समाप्त करना चाहता है। पहले ही इस पद को सृजित कर विभाग ने प्राथमिक मुख्याध्यापक के पद को समाप्त किया और अब इसे भी समाप्त करने पर तुला है। यह शिक्षकों के साथ अन्याय है और एसोसिएशन इसे किसी भी तरह से सहन नहीं करेगी।
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