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    मेरा क्या कसूर.. मैंने एक जगह खड़े रहकर वर्षों दिन-रात लोगों को जिदगी दी

    मुझे क्यों काटा गया क्या कोई बता सकता है..मैंने तो वर्षों से एक जगह खड़े रहकर सबको प्राणवायु दी है। मुझे सरकार ने राजकीय वृक्ष का दर्जा दिया है। मेरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। फिर भी मुझे बचाने के लिए किसी ने गंभीरता क्यों नहीं दिखाई ? मेरे वर्षों से खड़े मित्रों को भी बेदर्दी से काटा जा रहा है।

    By JagranEdited By: Updated: Sun, 19 Dec 2021 10:17 PM (IST)
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    मेरा क्या कसूर.. मैंने एक जगह खड़े रहकर वर्षों दिन-रात लोगों को जिदगी दी

    जागरण संवाददाता, करनाल : मुझे क्यों काटा गया, क्या कोई बता सकता है..मैंने तो वर्षों से एक जगह खड़े रहकर सबको प्राणवायु दी है। मुझे सरकार ने राजकीय वृक्ष का दर्जा दिया है। मेरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। फिर भी मुझे बचाने के लिए किसी ने गंभीरता क्यों नहीं दिखाई ? मेरे वर्षों से खड़े मित्रों को भी बेदर्दी से काटा जा रहा है।

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    यकीनन, जुबान होती तो वह पेड़ कुछ इन्हीं शब्दों में अपना दर्द बयां करता, जिसकी बलि कल्पना चावला राजकीय अस्पताल के फेज-2 निर्माण की प्रक्रिया में चढ़ा दी गई। इस प्रोजेक्ट में वर्षों पुराने पीपल के पेड़ों को बेदर्दी से काटा जा रहा है। अस्पताल रोड, एनडीआरआई रोड, इमरजेंसी वार्ड की तरफ किनारे खड़े वर्षों पुराने पीपल के हरे पेड़ों को काटकर सुरक्षा गार्ड तक तैनात किया गया है ताकि कटाई में व्यवधान न आए। पीपल को राजकीय वृक्ष का दर्जा दिया गया है मगर विकास की दौड़ में शायद इसे भुला दिया गया है। अधिकारी गंभीर होते तो बलड़ी बाइपास स्थित एप्रूवड कालोनी में भी वर्षों पुराने पीपल के पेड़ पर आरी चलाने से रोका जा सकता था।

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    पीपल का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व

    पीपल वृक्ष जैव विविधता की ²ष्टि से महत्वपूर्ण है और इसका धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व भी है। औषधीय पौधों के रूप में पीपल का उपयोग होता है। पर्यावरण संरक्षण में पीपल खास मायने रखता है। यह आक्सीजन उत्सर्जित करता है। पीपल की सुरक्षा में प्रदेश सरकार गंभीर है। इसीलिए कोरोना काल में आक्सीवन योजना में एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया। प्राणवायु पेंशन योजना स्कीम चालू की गई।

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    पेड़ों की कटाई पर गंभीरता क्यों नहीं..

    पर्यावरण संरक्षण की बातें करने वाले पेड़ों की कटाई पर गंभीर क्यों नहीं हैं। अधिवक्ता नाथीराम, मुकेश कुमार ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए आक्सीवन योजना में एक करोड़ पौधे लगाने की घोषणा की गई। लेकिन हरे पेड़ों को काटने पर रोक नहीं है। कुंजपुरा के बड़ा गांव में भी हरे पेड़ कटने का मामला सामने आया है। कल्पना चावला राजकीय अस्पताल फेज-2 के निर्माण में वर्षों पुराने पीपल की बलि चढ़ाई जा रही है, जिन्हें बचाया जा सकता था।

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    कालोनाइजरों पर कार्रवाई न करने की मेहरबानी

    बलड़ी बाइपास स्थित अप्रूव्ड कालोनी में कालोनाइजरों ने एक माह पहले वर्षों पुराना हरा पीपल का पेड़ काट दिया लेकिन अधिकारियों की तरफ से फाइल एक से दूसरी टेबल पर पहुंचाई जा रही है। वन विभाग की ओर से पेड़ कटाई की रिपोर्ट तैयार कर उपायुक्त को सौंपे 20 दिन से अधिक हो गए लेकिन पेड़ काटने वाले पहुंचे से दूर हैं। पर्यावरण संरक्षण समिति के अध्यक्ष एसडी अरोड़ा ने बताया कि पेड़ काटने की सूचना वन अधिकारियों को दी जाती है लेकिन कुछ नहीं होता। पेड़ काटने वाले छुट्टी वाले दिन काम को अंजाम दे देते हैं।

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    जांच सही पाए जाने पर होती कार्रवाई : रंगा

    वन विभाग के अधिकारी नरेश कुमार रंगा ने बताया कि बड़ा गांव के जंगल में पेड़ कटाई का मामला संज्ञान में है। एक कर्मचारी को निलंबित किया गया है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज फेज-2 के निर्माण में वहां के प्रबंधक फैसला करते हैं। पीपल राज्य वृक्ष है, जिसकी सुरक्षा के लिए विभाग अपने स्तर पर प्रयासरत है। बलड़ी गांव के पास कालोनी में पीपल का पेड़ काटने पर कार्रवाई के लिए पुलिस विभाग को लिखा है। विभागीय परमिशन बिना पेड़ काटने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।