दो दशक बाद दिखा यमुना का निर्मल रूप, कान में गूंज रही कलकल
55 दिन के लॉकडाउन में इंडस्ट्री बंद होने का सीधा असर वातावरण के अलावा नदियों पर भी पड़ा है। औद्योगिक इकाइयों से सप्लाई होने वाला कैमिकल व दूषित पानी यमुना में न जाने के कारण इन दिनों स्वच्छ जल बह रहा है। 20 वर्ष बाद यमुना के पानी का ऐसा बहाव देखने को मिला है जिसमें तल साफ दिखाई पड़ रहा है। यमुना किनारे बसे ग्रामीणों को यमुना के निर्मल बहाव की कल-कल सुनाई पड़ रही है। कोरोना वायरस दुनिया के लिए अभिशाप बन गया है लेकिन प्रकृति के लिए यही वायरस वरदान साबित हुआ है। बता दें कि यमुना नदी का करीब 22 किलोमीटर का हिस्सा करनाल में पड़ता है और औद्योगिक इकाइयों के बंद के कारण यमुना का पानी 60 फीसद स्वच्छ हो गया है।
यशपाल वर्मा, करनाल
55 दिन के लॉकडाउन में इंडस्ट्री बंद होने का सीधा असर वातावरण के अलावा नदियों पर भी पड़ा है। औद्योगिक इकाइयों से सप्लाई होने वाला कैमिकल व दूषित पानी यमुना में न जाने के कारण इन दिनों स्वच्छ जल बह रहा है। 20 वर्ष बाद यमुना के पानी का ऐसा बहाव देखने को मिला है जिसमें तल साफ दिखाई पड़ रहा है। यमुना किनारे बसे ग्रामीणों को यमुना के निर्मल बहाव की कल-कल सुनाई पड़ रही है। कोरोना वायरस दुनिया के लिए अभिशाप बन गया है, लेकिन प्रकृति के लिए यही वायरस वरदान साबित हुआ है। बता दें कि यमुना नदी का करीब 22 किलोमीटर का हिस्सा करनाल में पड़ता है और औद्योगिक इकाइयों में हालिया बंदी के कारण यमुना का पानी 60 फीसद स्वच्छ हो गया है। घरौंडा के सटे गांव स्वच्छता देख हैरान
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घरौंडा क्षेत्र में बह रही यमुना नदी के पानी में न गंदगी है और न ही बदबू। यमुना की लहरें भी उसकी स्वच्छता की गवाही दे रही हैं। यमुना से सटे गांव बल्हेड़ा, लालुपुरा, सदरपुर, पीरबड़ौली व अन्य गांवों के लोग भी साफ पानी देख हैरान है। अब यमुना में हथिनी कुंड बैराज से प्रतिदिन कई हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे यमुना का जलस्तर भी बढ़ा है। ग्रामीणों की मानें तो इन दिनों में पानी कम होने की वजह से किसान यमुना पार अपने खेतों को आसानी से देखकर आ जाते थे, लेकिन अब पानी का बहाव भी तेज है और जल स्तर भी बढ़ा हुआ है। लालुपुरा के सरपंच विकास कुमार बताते है कि मार्च और अप्रैल के महीने में यमुना का इतना बढ़ा हुआ जलस्तर कभी देखने को नहीं मिला। पानी बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा है। जिस यमुना को साफ करने का सपना सिर्फ सपना ही था, वह आज लॉकडाउन के दौरान साकार होता दिखाई दे रहा है। पानी में बिल्कुल भी गंदगी नहीं है। यमुना को दाग लगा रही धनौरा एस्केप
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इंद्री के गढ़ी बीरबल क्षेत्र के लगभग 32 गांवों से होकर गुजरने वाली धनौरा एस्केप की स्वच्छता सवाल खड़े कर रही है। लॉकडाउन के दौरान भी धनौरा एस्केप का पानी काला बहता दिखाई दिया। धनौरा एस्केप जब यमुना में जुड़ती हैं तो इस हिस्से में बीओडी (बायो कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर चार मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच जाता है। ग्रामीण कर्म सिंह, राकेश कुमार, अनिल कुमार, शिव कुमार, बंटी बुर्ज, निर्मल सिंह, राजेश कुमार ने बताया कि अधिकारियों की मिलीभगत के चलते लॉकडाउन में भी काला पानी बहता रहा। गांव डबकोली कलां के पास से गुजर रही धनौरा एस्केप की स्वच्छता के लिए ग्रामीणों ने सत्ताधारियों व अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। 17 अप्रैल के सैंपल की रिपोर्ट सुखद : अरोड़ा
प्रदूषण विभाग के एसडीओ शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया कि लॉकडाउन में यमुना जल की शुद्धता उच्च स्तर पर पहुंच गई। यमुनानगर में यमुना जल में बीओडी (बायो कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर एक मिलीग्राम प्रति लीटर से भी कम आंका गया है। 15 फरवरी को बीओडी 2.4 मिलीग्राम प्रति लीटर और सीओडी 20.4 थी, जबकि 19 फरवरी को बीओडी 4.5 व सीओडी 27.20 रही। अप्रैल 17 को सैंपल के अनुसार बीओडी एक पूरी भी नहीं थी और सीओडी 12.4 दर्शाई गई। धनौरा एस्केप का पानी जब यमुना से मिलता है तो जुड़ाव वाले हिस्सों पर बीओडी की मात्रा तीन-चार मिलीग्राम प्रति लीटर पहुंच पहुंच जाती है।