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    एक तलाक ऐसा भी! टूटी 43 साल पुरानी शादी, पत्नी को गुजारे के लिए दिए तीन करोड़; पति ने जमीन भी बेच डाली

    हरियाणा के करनाल जिले में एक बुजुर्ग दंपती ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मध्यस्थता और सुलह केंद्र की मदद से अपने 43 साल पुराने विवाह को समाप्त कर दिया है। इस मामले में पति ने पत्नी को 3.07 करोड़ रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता देने का समझौता किया जिसके लिए उसने अपनी कृषि भूमि भी बेच दी है।

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 16 Dec 2024 08:24 PM (IST)
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    43 साल पुरानी शादी टूट गई, फाइल फोटो।

    दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। हरियाणा के करनाल जिले में रहने वाले एक बुजुर्ग दंपती ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मध्यस्थता और सुलह केंद्र की मदद से अपने 43 साल पुराने विवाह को समाप्त कर दिया है। इस मामले में पति ने पत्नी को 3.07 करोड़ रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता देने का समझौता किया, जिसके लिए उसने अपनी कृषि भूमि बेच दी। वर्तमान में पति की आयु लगभग 69 साल व पत्नी की आयु 73 वर्ष है।

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    इस जोड़े का विवाह 27 अगस्त 1980 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था। इस विवाह से तीन बच्चे, बेटियां और एक बेटा हुए। हालांकि, समय के साथ दोनों के रिश्तों में खटास आ गई। दंपती आठ मई 2006 से अलग रहने लगे थे। पति ने करनाल की पारिवारिक अदालत में मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका दायर की थी। लेकिन जनवरी 2013 में पारिवारिक अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद हाईकोर्ट में तलाक की अपील दायर की।

    पति-पत्नी ने विवाह खत्म करने पर जताई सहमति

    हाई कोर्ट ने इस साल चार नवंबर को इस मामले को सुलह और समझौते के लिए मध्यस्थता केंद्र को भेजा। मध्यस्थता के दौरान दोनों पक्ष यानी पति, पत्नी और उनके तीनों बच्चों ने 3.07 करोड़ रुपये के भुगतान पर विवाह समाप्त करने पर सहमति जताई।

    समझौते के अनुसार पति ने अपनी कृषि भूमि बेचकर 2.16 करोड़ रुपये का डिमांड ड्राफ्ट पत्नी को दिया। इसके अलावा गन्ने की फसल सहित विभिन्न फसलों की बिक्री से अर्जित आय से पति द्वारा जे-फार्म के तहत 50 लाख रुपये का नकद भुगतान किया गया।

    समझौते में यह स्पष्ट किया गया कि 3.07 करोड़ रुपये की राशि स्थायी गुजारा भत्ता मानी जाएगी। इस राशि के बाद पत्नी और बच्चे, पति या उनकी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं जताएंगे। यहां तक कि पति की मृत्यु के बाद भी उसकी संपत्ति पर पत्नी और बच्चे दावा नहीं कर सकेंगे।

    जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस जसजीत सिंह बेदी की पीठ ने समझौते को स्वीकार करते हुए यह आदेश जारी किया, जिसमें विवाह को खत्म कर दिया गया। इस मामले ने दिखाया कि कानूनी प्रक्रिया और मध्यस्थता के माध्यम से वर्षों पुराने विवाद को भी शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है।

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