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    रैपर बादशाह को बड़ा झटका, कोर्ट ने इस कारण 2.2 करोड़ जमा करने के दिए आदेश

    सिंगर बादशाह को बावला गाने के विवाद में अदालत ने 2.2 करोड़ की सुरक्षा राशि जमा करने का आदेश दिया है। यूनिसिस इंफोसॉल्यूशंस ने बादशाह पर 2021 के समझौते के तहत भुगतान न करने का आरोप लगाया है। अदालत ने यूनिसिस के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बादशाह को 60 दिनों के भीतर 50 लाख की अतिरिक्त एफडीआर जमा करने का आदेश दिया है।

    By Som Dutt Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Sun, 17 Aug 2025 09:45 AM (IST)
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    सिंगर बादशाह को अदालत ने 2.2 करोड़ की सुरक्षा राशि जमा करने का दिया आदेश। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, करनाल। सिंगर और रैपर आदित्य प्रतीक सिंह, जिन्हें बादशाह के नाम से जाना जाता है, को अपने हिंदी-हरियाणवी गाने बावला के वीडियो के निर्माण और प्रचार गतिविधियों के लिए यूनिसिस इंफोसॉल्यूशंस के साथ चल रहे भुगतान विवाद में अदालत ने सुरक्षा राशि जमा करने का निर्देश दिया है।

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    न्यायाधीश जसबीर सिंह कुंडू ने आदेश दिया है कि बादशाह को 2.2 करोड़ की सुरक्षा राशि जमा करनी होगी। इस मामले में यूनिसिस की याचिका को मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 9 के तहत आंशिक रूप से स्वीकार किया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता एसएल निरवानिया और अमित निरवानिया ने पैरवी की, जबकि बादशाह की ओर से विजेंद्र परमार ने अपनी दलीलें पेश कीं।

    अधिवक्ता अमित निरवानिया के अनुसार, इस जमानत राशि में 1.7 करोड़ की पूर्व सावधि जमा रसीद (एफडीआर) और अदालत द्वारा निर्देशित 50 लाख की अतिरिक्त जमा राशि शामिल है। इन दोनों जमा राशियों को अगले आदेश तक भुनाने या ऋणभार से मुक्त रखा जाएगा। यूनिसिस ने आरोप लगाया है कि बादशाह ने 2021 में हुए एक समझौते के तहत ₹2.88 करोड़ (लागत, ब्याज और अन्य खर्चों सहित) का भुगतान नहीं किया।

    समझौते के अनुसार, बादशाह को प्रचार गतिविधियों के लिए एक करोड़ पांच लाख और बावला वीडियो के लिए 65 लाख का भुगतान करना था। यह वीडियो 28 जुलाई, 2021 को जारी किया गया था। हालांकि, यूनिसिस के अधिवक्ता अमित निरवानिया ने अदालत में दावा किया कि मई 2022 में दो करोड़ (जीएसटी सहित) के दो टैक्स इनवाइस जारी करने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया।

    अदालत ने माना कि वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम की धारा 12-ए के तहत पूर्व-संस्था मध्यस्थता के अभाव में भी याचिका विचारणीय है, क्योंकि इस मामले में तत्काल अंतरिम राहत की मांग की गई थी। अदालत ने प्रथम दृष्टया यूनिसिस के पक्ष में पाया और यह भी कहा कि बादशाह ने अपनी देनदारी स्वीकार नहीं की थी, जबकि 2.88 करोड़ के दावे के विरुद्ध 1.7 करोड़ की सुरक्षा प्रदान की थी। अदालत ने बादशाह को 60 दिनों के भीतर अतिरिक्त ₹50 लाख एफडीआर जमा करने का आदेश दिया है।