हरियाणा के पांच जिलों में धान घोटाला, तीन मिल मालिक गए जेल; 18 अधिकारियों पर गिरी गाज
हरियाणा के पांच जिलों में धान घोटाला सामने आया है, जिसमें तीन मिल मालिक जेल जा चुके हैं और 18 अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है। यह घोटाला यमुनानगर में लग ...और पढ़ें
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हरियाणा के पांच जिलों में धान घोटाला। फाइल फोटो
जागरण टीम, पानीपत। हरियाणा में फर्जी गेट पास काटकर मंडियों में धान आए बिना ही धान बेच डाला। बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से धान लाकर यहां के किसानों के नाम से बेचा गया। दैनिक जागरण की ओर से लगातार मुद्दा उठाने पर सरकार की ओर से चावल मिलों में धान की भौतिक जांच के बाद पांच जिलों में घोटाला सामने आया।
यह यमुनानगर में सर्वाधिक लगभग 80 करोड़ रुपये और करनाल में 20 करोड़ तक पहुंच चुका है। अब तक तीन मिल मालिक जेल जा चुके हैं, जबकि 18 अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। इसके अलावा विभिन्न जिलों में 28 मंडी सचिवों को चार्जशीट किया जा चुका है।
करनाल में कुल छह एफआइआर दर्ज हो चुकी हैं। इन मामलों में अब तक कुल 14 अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। यमुनानगर में दंपती मिल मालिक पर केस दर्ज हुआ। पति जेल जा चुका है, जबकि पत्नी अभी फरार है। जींद, कुरुक्षेत्र और अंबाला में एक-एक राइस मिलर पर केस दर्ज है।
इस बार 22 सितंबर से धान खरीद शुरू हुई थी और 15 नवंबर तक पीआर धान की खरीद चली। करनाल मंडी से बाहर के आइपी एड्रेस पर गेट पास काटे गए और बिना धान आए ही हजारों क्विंटल धान की आवक कर दी। भौतिक जांच में असंध के दो मिलों में करोड़ों का धान कम मिला।
करनाल के मिल और तरावड़ी के तीन मिलों में भी पांच करोड़ से अधिक का धान कम मिला। बुटाना थाना के और इंद्री थाने के अंतर्गत दो मिलों में स्टाक कम पाया गया। उधर, यमुनानगर में एक ही परिसर में कई चावल मिल मिली और यहां करोड़ों का धान कम पाया गया।
मिलीभगत से चरणबद्ध तरीके से किया घोटाला
धान खरीद में मंडी अधिकारियों के साथ साथ कंप्यूटर आपरेटर से लेकर खरीद एजेंसियों के अधिकारियों के साथ साथ मिलर्स और आढ़तियों की मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया। प्रक्रिया के तहत सबसे पहले किसानों के नाम पर मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण किया जाता है।
इसके बाद आढ़ती उसे अपने रजिस्टर में दर्ज करता है और उसकी फर्जी बोली कराकर उठान होता है और उसे मिल में पहुंचा दिया जाता है। इस घोटाले में जिन अधिकारियों पर निगरानी की जिम्मेदारी होती है, वही इसमें शामिल हो जाते हैं और इसी प्रकार हर साल ऐसे घोटाले सामने आते हैं।
पिछली बार से नौ लाख टन अधिक खरीद
प्रदेश में 40 लाख एकड़ में पीआर धान की खेती हुई। बाढ़, अधिक वर्षा और बीमारी के कारण करीब 14 लाख एकड़ फसल प्रभावित हुई। प्रति एकड़ 30 प्रतिशत तक उत्पादन भी कम हुआ। पिछली बार इतने ही रकबे में 53.98 लाख टन धान की खरीद हुई थी, जबकि इस बार 62.13 लाख टन पीआर धान की खरीद हुई है।
हरियाणा सरकार जीरो टोलरेंस पर काम कर रही है। धान खरीद में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। कई स्थानों पर एफआइआर दर्ज कराई गई हैं। अभी जांच जारी है, जो भी चीजें सामने आएंगी, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। आगामी खरीद सीजन में गड़बड़ी रोकने को लेकर एआइ तकनीक का प्रयोग करके निगरानी रखी जाएगी। - राजेश नागर, मंत्री, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग।

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