Karnal News: विदेश में इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ हरियाणा में लगाया स्टार्टअप, पानी बचाने वाले गमले बनाए
Karnal News करनाल के नितिन ललित ने कनाडा में इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर गमले बनाने का स्टार्टअप शुरू किया। उनका विचार था कि ऐसे प्रयास की बदौलत भूजलस ...और पढ़ें

करनाल, जागरण संवाददाता। करनाल यह कहानी जितनी रोचक है, उतनी ही प्रेरक भी। करनाल के नितिन ललित ने कनाडा में इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर गमले बनाने का स्टार्टअप शुरू किया। उनका विचार था कि ऐसे प्रयास की बदौलत भूजलस्तर बचेगा और पर्यावरण संरक्षण भी हो सकेगा। साथ ही कारोबार की राह भी खुलेगी।
लिहाजा, चार लाख रुपये महीने की नौकरी, खुद का घर और स्थायी नागरिकता के बावजूद नितिन ने स्वदेशी स्टार्टअप के लिए यह सब छोड़ दिया क्योंकि वह भारत में वेस्ट मेटेरियल से पानी बचाने वाले गमले बनाकर घर-घर पहुंचाना चाहते थे।
वर्तमान में करीब 20 लोगों को मिला रोजगार
करनाल आकर नितिन ने पिता रिटायर्ड बैंककर्मी जेके ललित को साथ जोड़ा। दोनों ने अल्फा प्लांटर कंपनी बनाई। बंद फैक्ट्री को किराए पर लिया। धीरे-धीरे स्टाफ रखा। एक बार डिजाइन बदलने में दो से चार लाख रुपए खर्च किए। फिर ऐसा गमला तैयार किया, जो खुल सकता था। इसमें पानी की खपत न के बराबर होती है। यह तकनीक कम पानी वाले क्षेत्रों में कारगर रही। देश-विदेश से आर्डर मिल रहे हैं। वर्तमान में करीब 20 लोगों को रोजगार दिया है।
कैसे आया विचार
आटो मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में डिप्लोमा करके नितिन 2007 में कनाडा चले गए थे। वहां इसी सेक्टर में नौकरी की। 2016 में नौकरी छोड़ी तो भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए उद्यमियों के लिए स्टार्टअप, स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे विकल्प दिए। इससे नितिन उत्साहित हुए लेकिन देखा कि अपने देश में प्रकृति की अनमोल देन पानी की काफी बर्बादी होती है। ऐसे गमले लगाने का स्टार्टअप शुरू करने की ठानी, जिनसे पानी बचे। स्वदेश लौटकर नितिन ने बागवानी तकनीक के बारे में पढ़ना शुरू किया।
पानी नहीं होता बर्बाद
नितिन ने वेस्ट प्लास्टिक रिसाइकिल कर डिजाइनयुक्त शीट तैयार की। इसे मोड़कर अलग-अलग आकार के गमले बनाए। सतह पर जल संचय के लिए छोटा वाटर रिजरवायर यानी तश्तरीनुमा जलाशय फिट किया। पौधे को दिया अतिरिक्त पानी इसमें चला जाता है, जो जमा रहता है। पौधे की जड़ें नियमित पानी लेती रहती हैं। करीब एक माह तक पानी देने की जरूरत नहीं होती। नारियल बुरादा, चावल मिल की ऐश और वर्मिंग कंपोस्ट के मिश्रण से तैयार खाद गमले में डालकर पौधे लगाए जाते हैं। सामान्य गमलों में डाले जाने वाले पानी की तुलना में इनमें एक चौथाई पानी ही चाहिए।

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