करनाल में अधूरे दस्तावेजों पर राइस मिलरों को अलॉट कर दिया करोड़ों का धान, सीएम फ्लाइंग ने किया पर्दाफाश
करनाल में डीएफएससी विभाग के अधिकारियों द्वारा 117 राइस मिलर्स को बिना एग्रीमेंट और सिक्योरिटी के ही धान आवंटित कर दिया गया। सीएम फ्लाइंग की जांच में यह खुलासा हुआ कि मिलरों से कोई समझौता नहीं किया गया और न ही सुरक्षा राशि ली गई। पहले भी राइस मिलर्स सरकार के 249 करोड़ रुपये के चावल हड़प चुके हैं। इस मामले की जानकारी सरकार को दे दी गई है।

जागरण संवाददाता, करनाल। अधिकारियों ने 117 राइस मिलरों को अधूरे दस्तावेजों पर करोड़ों रुपये का धान अलाट कर दिया। सीएम फ्लाइंग ने इसका रहस्योद्घाटन किया है।
सीएम फ्लाइंग की टीम ने डीएफएससी विभाग में जांच की तो पता चला कि राइस मिलरों से न तो कोई एग्रीमेंट किया गया और न सिक्योरिटी फीस या चेक लिये गए। जिले में करीब 216 राइस मिलर्स हैं, जिनका सीएमआर (कस्टम मिलिंग राइस) के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ है।
सीएम फ्लाइंग का कहना है कि उन्होंने 117 मिलरों की फाइल चेक की, यह लापरवाही सभी की फाइल में मिली। साफ है कि डीएफएससी विभाग के अधिकारी सरकार के कार्य के प्रति गंभीर नहीं हैं। राइस मिलर्स पहले भी सरकार के 249 करोड़ रुपये के चावल डकार चुके हैं।
वर्ष 2012 से अभी तक 38 राइस मिलर ऐसे हैं, जिन्होंने सरकार से लिया धान का चावल नहीं लौटाया। जो करीब 249 करोड़ रुपये का है। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
राइस मिलर्स का रजिस्ट्रेशन करने के लिए दो लाख रुपये मांगने का आरोप सीएमआर के लिए रजिस्ट्रेशन करने में दो-दो लाख रुपये की रिश्वत का खेल चल रहा है। यह आरोप अजय सिंह चौटाला ने लगाए थे। उन्होंने कहा था कि जिन मिलरों को धान अलाट करना है।
उनकी फाइल को पास करने के लिए राइस मिलरों से अधिकारी दो-दो लाख रुपये मांग रहे हैं। राइस मिलरों की फाइल अधूरी हो या कोई भी कमी हो, उसे दो लाख रुपये में पूरा किया जा रहा है। ऐसे चलता है भ्रष्टाचार का खेल, अधिकारियों के साथ राइस मिलर्स करते हैं मिलीभगत किसानों से सरकार पीआर धान खरीदती है।
धान से चावल निकालने के लिए वह राइस मिलर्स को देती है। जिसे सीएमआर कहा जाता है। इसके लिए पहले राइस मिलर्स को रजिस्ट्रेशन कराना होता हे।
उसमें राइस मिल के दस्तावेज, सरकार से एग्रीमेंट, सिक्योरिटी के नाम पर राशि, चेक व गारंटर लिये जाते हैं, ताकि राइस मिलर सरकार के चावल का गबन न कर सके लेकिन राइस मिलर अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर लेते हैं और अधूरे दस्तावेजों में रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं और फिर सरकार का करोड़ों रुपये का चावल डकार जाते हैं।
हमें सूचना मिली थी कि अधूरे दस्तावेज में राइस मिलरों को सीएमआर का धान अलाट कर दिया गया है। इसकी जांच के लिए एक टीम डीएफएससी कार्यालय में गई थी। जहां 117 राइस मिलरों की जांच की तो उनके दस्तावेज अधूरे मिले। राइस मिलरों की फाइल में एग्रीमेंट, सिक्योरिटी फीस, चेक सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज ही नहीं थे। इस बारे में उच्च अधिकारियों को पत्र लिख दिया गया है। -सुशील कुमार, डीएसपी, सीएम फ्लाइंग करनाल।
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