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    हरियाणा में धान घोटाले में बड़ा एक्शन, 38 मंडी सचिव के खिलाफ चार्जशीट दाखिल, कई जिलों में किया स्कैम

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 12:02 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने धान घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 38 मंडी सचिवों को चार्जशीट किया है। इन पर गेट पास काटने में अनियमितता के आरोप हैं। सबसे ज्यादा ...और पढ़ें

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    हरियाणा में धान घोटाले में बड़ा एक्शन (File Photo)

    सोमदत्त शर्मा, करनाल। प्रदेश में हुए धान घोटाले में हरियाणा सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। डीसी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने अलग-अलग जिलों में तैनात मार्केटिंग बोर्ड के 38 मंडी सचिवों को चार्जशीट किया है। इन सभी पर गेट पास काटने में अनियमितता बरतने के आरोप हैं।

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    खास बात ये है कि चार्जशीट होने वालों में सबसे अधिक सचिव जीटी बेल्ट के छह जिलों के हैं, क्योंकि इस बेल्ट में पीआर धान की पैदावार अधिक है। चार्जशीट के बाद बोर्ड ने कार्रवाई को लेकर फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दी है। इस बार धान खरीद के दौरान कई जिलों में घोटाले सामने आए हैं।

    करनाल, यमुनानगर और फतेहाबाद में गेट पास और धान का फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है और अलग-अलग जिलों में अधिकारियों व मिलर्स के खिलाफ केस भी दर्ज किए गए हैं। इसके बाद सरकार ने मामले की विस्तृत जांच को लेकर सभी जिलों के डीसी से खरीद के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी।

    सभी जिलों में काटे गए गेट पासों की साइबर सेल ने जांच की और अधिकतर मंडियों में मंडी से बाहर के आइपी एड्रेस पर गेट पास कटे मिले हैं। डीसी की इसी प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर ही हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड के सीए मुकेश आहुजा की ओर से प्रदेशभर की उन मंडियों के 38 सचिवों को चार्जशीट कर दिया है। इन पर गेट पास काटने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है। इसकी पुष्टि बोर्ड के सीएमईओ संजीव चौहान ने की है।

    रुक जाते हैं भत्ते व इंक्रीमेंट

    सबसे अधिक गड़बड़ी की आशंका कैथल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला, करनाल व फतेहाबाद जिलों की मंडियों में हैं। चार्जशीट आरोप पत्र है व अंडर रूल 7 में चार्जशीट होने पर संबंधित अधिकारी की पदोन्नति व इंक्रीमेंट रोक दी जाती हैं। सरकार की ओर से मिलने वाले अन्य वित्तीय व दूसरे लाभ भी रोक दिये जाते हैं। हरियाणा ने खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में अपने खरीद लक्ष्य से कहीं ज़्यादा पीआर धान की खरीद की है, जो रिकार्ड 62 लाख मीट्रिक टन रहा। जबकि लक्ष्य 54 लाख मीट्रिक टन का था।