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    हरियाणा का पानी हुआ खराब, रोहतक में समुद्र जैसा जल

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Mon, 17 Apr 2017 02:50 PM (IST)

    हरियाणा में पानी बेहद खराब है और अधिकतर इलाकों में पीने लायक नहीं है। यह खुलासा जन स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा कराई गई जांच में हुआ है। रोहतक के पानी में क्‍लाेराइड समुद्र की तरह है।

    हरियाणा का पानी हुआ खराब, रोहतक में समुद्र जैसा जल

    करनाल, [मनोज राणा]। प्रदेश में भूजल खराब हो चुका है और कई क्षेत्रों में यह पीने लायक भी नहीं है। राज्‍य में 75 फीसद भूजल खराब हो चुका है। यह खुलासा हुआ है प्रदेश के जनस्वास्थ्य विभाग की लैब के आंकड़े से। इसके अनुसार, प्रदेश में सबसे ज्‍यादा खराब पानी रोहतक का है। यहां के पानी में समुद्र की तरह क्लोराइड की मात्र मिली है। अंबाला और पानीपत जिले में आधे क्षेत्र का पानी बिना आरओ पीना खतरे से खाली नहीं। करनाल, कुरूक्षेत्र और यमुनानगर जिले में हालत थोड़ी संतोषजन‍क है।

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    हरियाणा में जनस्वास्थ्य विभाग की 20 जिला स्तरीय अौर 21 सब डिविजन स्तर पर लैब हैं। करनाल में राज्य स्तरीय लैब है। सभी लैब में वर्ष 2016-17 में पानी के कुल 129500 पानी के सैंपल लिए गए। इनमें से 9500 पानी के सैंपल फेल पाए गए हैं। लैब रिपोर्ट के मुताबिक सिरसा के कुछ क्षेत्र का पानी भी आरओ के बिना पीना सही नहीं, जबकि पानीपत व अंबाला के आधे हिस्से का पानी सही पाया गया।

    तीन जिलों में बिना आरओ के पी सकते हैं पानी

    भूजल के मामले में करनाल, कुरुक्षेत्र व यमुनानगर के लोग भाग्यशाली हैं। तीनों जिलों में टीडीएस की मात्रा सामान्य है। करनाल की राज्यस्तरीय लैब के वैज्ञानिक अमित सिंह के अनुसार यहां आरओ लगाने की जरूरत ही नहीं। जो लोग आरओ का पानी पी रहे हैं वे टीडीएस सामान्य से कम कर अपनी सेहत का नुकसान कर रहे हैं। टीडीएस की मात्र यदि 100 से कम और 2000 पीपीएम से अधिक हो तो दिक्कत शुरू होती है। पानीपत के इंडस्ट्रियल एरिया के पानी में टीडीएस की मात्र 2000 पीपीएम से अधिक तक मिली है।

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    रोहतक के पानी में छह हजार तक टीडीएस की मात्रा

    रोहतक के भूजल में पांच से छह हजार पीपीएम तक टीडीएस है। यहां के पानी में 30 हजार मिलीलीटर प्रति लीटर तक क्लोराइड की मात्र है। ऐसा आमतौर पर समुद्र के पानी में होता है। करनाल में टीडीएस की मात्र 60 से 70 मिली लीटर प्रति लीटर है जोकि सामान्य है। क्लोराइड की मात्र अधिक होने से डेंटल फ्लोरिसिस व स्केलेटल फ्लोरिसिस हो जाती है। यह दोनों ही बीमारियां हड्डियों के लिए घातक हैं। रेवाड़ी 12 से 14 पीपीएम तक फ्लोराइड होने के कारण इसे पीना सही नहीं है। करनाल में 350 से 400 फीट गहराई तक का पानी लोग इस समय पी रहे हैं।

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