मक्का की खेती करो मुफ्त बीज और पांच हजार रुपये मिलेंगे
जागरण संवाददाता, करनाल : किसानों को धान व गेहूं के फसल चक्र से बाहर निकालने के लिए कृषि विभाग मक्
जागरण संवाददाता, करनाल : किसानों को धान व गेहूं के फसल चक्र से बाहर निकालने के लिए कृषि विभाग मक्का की खेती के लिए प्रेरित कर रहा है। बीज मुफ्त दिया जाएगा। साथ ही प्रति एकड़ पर पांच हजार रुपये सीधे खाते में जाएंगे। कृषि विभाग के अधिकारी चेक करेंगे कि उन्होंने मक्का की बुआई की है या नहीं।
फसल विविधिकरण के लिए कृषि विभाग मक्का उगाने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। ऐसे में किसान मक्का की फसल उगाकर एक तो भूजल की बचत कर सकेंगे, दूसरे धान के बजाय मक्का में कम मेहनत करनी पड़ेगी। जमीन को मिलेगी संजीवनी
आमतौर पर किसान गेहूं व धान की फसल उगाने पर जोर दे रहे हैं। इससे जमीन की उपजाऊ शक्ति तो कमजोर हो ही रही है साथ ही फसल का उचित भाव भी मिल पाता है। इसलिए किसानों को फसल चक्र तोड़ना होगा। धान व गेहूं को छोड़कर दूसरी फसलें उगानी होगी। कृषि विभाग ने फसल विविधिकरण के लिए मक्का को बढ़ावा दे रहा है। कृषि विभाग ने करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, पानीपत व सोनीपत में मक्का की फसल उगाने का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य कितना होगा अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन इन जिलों में मक्का बुआई की यह योजना लागू होगी। मक्का की फसल से लाभ
- जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी
- भूजल की बचत होगी, धान की मुकाबले पानी कम लगाना पड़ता है
- मक्का की फसल पर धान के मुकाबले खर्च कम होगा
- पहली बार एमएसपी पर खरीद होगी, बेचने में कोई दिक्कत नहीं होगी एचएसडीसी से उपलब्ध होगा मक्का का बीज
किसानों की सुविधा के लिए मक्का का बीज हरियाणा बीज विकास निगम (एचएसडीसी) के सेल्स सेंटर पर मिलेगा। हाईब्रीड किस्म का बीज भेजने की योजना है। एक एकड़ में आठ किलोग्राम बीज डाला जाता है किसानों को संबंधित कृषि विकास अधिकारी से परमिट लेना होगा। 80 से 90 दिन में पक जाती है मक्का
मक्का की अच्छी पैदावार लेने के लिए समय पर बिजाई करनी बहुत जरूरी है। इसकी बिजाई का समय 25 जून से 20 जुलाई तक माना गया है। एक एकड़ में 24 से 26 क्विंटल मक्का की पैदावार होती है और मक्का आमतौर पर 80 से 90 दिन में पक जाता है। गेहूं की तरह मक्का की बिजाई करनी चाहिए। पौधे से पौधे की दूरी 22 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन का फासला 75 सेंटीमीटर होना चाहिए। फोटो---02 नंबर है।
फसल विविधिकरण से किसानों को फायदा होगा। किसानों को बदल-बदल कर फसलें उगानी चाहिए। विभाग मक्का की बिजाई करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करेगा। एक किलो धान पैदा करने में पांच हजार लीटर पानी लगता है, आप सोच सकते हैं कि कितना पानी बर्बाद हो रहा है। हम धान नहीं आने वाली पीढि़यों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
-डॉ. आदित्य डबास, उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।
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