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    देसी गाय की नस्लों के संवर्धन पर फोकस, बढ़ेगा दूध उत्पादन

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 27 Feb 2022 10:55 PM (IST)

    पवन शर्मा करनाल देशी नस्ल के दुधारू पशुओं के संरक्षण की दिशा में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंध ...और पढ़ें

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    देसी गाय की नस्लों के संवर्धन पर फोकस, बढ़ेगा दूध उत्पादन

    पवन शर्मा, करनाल: देशी नस्ल के दुधारू पशुओं के संरक्षण की दिशा में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान लगातार अहम कदम उठा रहा है। इसी के तहत उत्तराखंड लाइवस्टाक डवलपमेंट बोर्ड के साथ मिलकर संस्थान ने देहरादून जिले के कालसी स्थित पशु प्रजनन फार्म में भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक द्वारा देशी नस्ल की रेड सिधी एवं साहिवाल गौ पशुओं के संवर्धन की प्रक्रिया तेज की है। संस्थान के वैज्ञानिकों का दावा है कि मुर्रा नस्ल की भैंसों में इस तकनीक के परिणाम काफी अच्छे रहे हैं। अब गौ पशुओं में भी इस तकनीक की मदद से बेहतर दुग्ध उत्पादन में सक्षम पशुओं को विकसित किया जा रहा है।

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    पशु विज्ञान के क्षेत्र में अनवरत अनुसंधान कर रहे एनडीआरआइ के वैज्ञानिकों का मानना है कि देश में बढ़ती जनसंख्या के सापेक्ष दूध उत्पादन व मांग में संतुलन के लिए प्रयास तेज करने होंगे। फिलहाल देश में दूध उत्पादन का आंकड़ा 200 मिलियन है। इसे 2030 तक 240 मिलियन टन करने का लक्ष्य है। इसी के ²ष्टिगत संस्थान में अच्छी नस्ल के पशुओं की दूध उत्पादन व प्रजनन क्षमता में वृद्धि की विविधस्तरीय योजना पर काम चल रहा है। उत्तराखंड लाइव स्टाक डेवलपमेंट बोर्ड कालसी के साथ साझा प्रोजेक्ट के तहत रेड सिधी का अंडा व गिर गाय के सेल से भ्रूण तैयार करके गायों के गर्भाश्य में प्रस्थापित किए जा रहे हैं। भैंसों में प्रयोग के अच्छे परिणाम मिले हैं।

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    सरोगेट व आइवीएफ तकनीक का प्रयोग

    संस्थान अच्छे उत्पादन में सक्षम गिर गायों की संख्या भी बढ़ाएगा। प्रोजेक्ट के तहत वैज्ञानिक रेड सिधी गाय का अंडा व गिर गाय का सैल लेकर लैब में भ्रूण तैयार कर रहे हैं। विकसित भ्रूण सेरोगेट मदर गाय के गर्भाश्य में प्रस्थापित किए जा रहे हैं। आइवीएफ यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक से भी संस्थान दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ा रहा है। इसके तहत पशुपालन विभाग के सहयोग से अच्छे सांड के सीमन और उत्तम नस्ल की गाय के अंडे को लैब में कल्चर करके भ्रूण तैयार किए जा रहे हैं। ये भ्रूण अन्य गायों के गर्भाश्य में प्रस्थापित करके दुधारू नस्ल की पर्याप्त बछड़ियां पैदा की जा सकेंगी। दावा है कि एक साल में एक गाय से 60 बछड़ियां पैदा की जा सकती हैं।

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    क्लोन तकनीक में भी प्रगति

    क्लोन तकनीक पर भी वैज्ञानिक लगातार अनुसंधानरत है। संस्थान में अब तक 12 स्वस्थ कटड़ों में शामिल छह मादा और छह नर को विकसित किया गया है। ये कटड़े शारीरिक रूप से सामान्य, स्वस्थ हैं और अच्छी तरह बढ़ रहे हैं। एनडीआरआइ ने पहली रैंक वाले संतान परीक्षण में सक्षम सांड एमयू-4354 की दो क्लोन प्रतियां तैयार की हैं। ये दोनों भी अच्छी तरह स्वस्थ विकसित हो रहे हैं और वीर्य उत्पादन के लिए तैयार हैं।

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    बढ़ेगी दुधारू पशुओं की संख्या

    देश में 109 मिलियन भैंस और 192 मिलियन गाय हैं। बढ़ती जनसंख्या के ²ष्टिगत दूध उत्पादन में वृद्धि की जरूरत है। अच्छी नस्ल के दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाने पर लगातार काम कर रहे हैं। निकट भविष्य में भैंसों के साथ गाय की विभिन्न नस्लों में भी बेहतर प्रयोग देखने को मिलेंगे। डा. मनमोहन सिंह चौहान, निदेशक, एनडीआरआइ