By Pawan sharmaEdited By: Mohammad Sameer
Updated: Sun, 23 Jul 2023 06:30 AM (IST)
आपदा या तेज बरसात के बाद पानी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। हम गंदे पानी वाले हाथ अपनी आंखों पर लगा देते हैं या अंजाने में लग जाते हैं। उसके कारण आंखों में सूजन फ्लू आंखें लाल होना जैसी कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। इस मौसम में सब्जी फल खरीदने के बाद उसके रखरखाव में एहतियात नहीं बरती जाती जिस कारण बीमारियां पनप रही हैं।
जागरण संवाददाता, करनालः सावन माह में तेज बरसात से कई इलाकों में बाढ़ और बाढ़ जैसी स्थितियों के बाद पानी से संबंधित बीमारियों के केस डाक्टरों के पास अधिक आने लगे हैं। पानी की सफाई सही तरीके से नहीं होने के कारण जहां पेट के रोग पनप रहे हैं, वहीं आंखों में फ्लू की बीमारी आ रही है।
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फ्लू को यदि शुरू में संभाल लिया जाए तो यह जल्दी पकड़ में आ जाता है लेकिन यदि आंखों को बार-बार मसला जाए और उसकी परवाह ना की जाए तो चार दिन की बीमारी चालीस दिन में तब्दील हो रही है। इसके कारण मरीजों का खर्च और उलझनें दोनों बढ़ रही हैं।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. बीके ठाकुर की मानें तो बरसात के इस मौसम में आंखों के एहतियात की खासी जरूरत है, इस समय परिवार में हर तीसरा आदमी आंखों की फ्लू की बीमारी का आ रहा है, इस पर जल्द ध्यान ना दिया जाए तो कोर्निया पर असर पड़ सकता है और आंखों को खतरा हो सकता है। इसलिए बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है।
ठाकुर ने माना कि बीमारी टचिंग से आ रही है, इसका अर्थ ये है जिसे आखों का फ्लू है या दर्द हो रहा है तो घर में उसका तोलिया, रूमाल जो कोई भी इस्तेमाल कर रहा है उसे आंखों की ये बीमारी अपनी चपेट में ले रही है। घर में यदि पांच लोग हैं तो पूरे परिवार को ये बीमारी केवल टचिंग के कारण अपनी चपेट में ले रही है।
असल में बरसात की आपदा या तेज बरसात के बाद पानी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। हम गंदे पानी वाले हाथ अपनी आंखों पर लगा देते हैं या वो जाने अंजाने लग जाते हैं। उसके कारण आंखों में सूजन, फ्लू, आंखें लाल होना जैसी कई समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। जिससे आजकल लोग जूझ रहे हैं।
डा. ठाकुर कहते हैं कि बरसात के इस मौसम में सब्जी, फल खरीदने के बाद उसके रखरखाव में एहतियात नहीं बरती जाती जिसके कारण पेट व आंखों की बीमारियां पनप रही हैं। असल में सब्जी या फल खरीदने के बाद उसे इन दिनों में तुरंत सिरके वाले पानी में डुबाकर आधे या एक घंटा रख देना चाहिए, उसके बाद उसमे बीमारी की संभावना नहीं रहती।
हम कई बार मरीजों को सलाह देते हैं कि वे जैसे ही दिक्कत महसूस करें तुरंत संबंधित डाक्टर से सलाह लें लेकिन ऐसा बहुत कम हो रहा है।
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