उगते सूर्य को अर्घ्य और पूजा के कर व्रत किया पूरा
रविवार को महाछठ पर्व की धूम रही।
जागरण संवाददाता, करनाल : रविवार को महाछठ पर्व की धूम रही। पूर्वांचल के लोगों ने चार दिन तक चलने वाले इस पर्व में व्रत धारण कर खरीदारी भी की। दो नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद रविवार सुबह चार बजे से ही पश्चिम यमुना नहर पर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। स्मॉग की चादर को नजरअंदाज कर छठव्रतियों ने श्रद्धापूर्वक पूजा की। अर्घ्य के दौरान महिलाओं ने लकड़ी के सूप में करीब 20-25 सामान सजाकर पूजन किया।
काछवा रोड स्थित सूर्य मंदिर में रात भर संकीर्तन किया गया। छठ के चौथे दिन रविवार सुबह सूर्य को अर्घ्य और छठी मैया की पूजा कर अपना व्रत खत्म किया। व्रतियों ने गन्ने के बीच में मिट्टी के हाथी जो भगवान गणेश के रूप में होते हैं और कलश रखा, गन्ने के पास मिट्टी के बर्तन में प्रसाद रखकर दीप जलाया। महिलाओं के साथ ही पुरुषों ने भी अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए छठ का व्रत किया। रजवाहा चौक के सामने सीवर प्लांट के गेट पर एक शाम छठ मैया के नाम का रविवार शाम सात बजे भोग डालकर प्रसाद वितरित किया। छठ गीतों जैसे कांच ही बांस के बहंगिया, केलवा के पात पर उगेलन सूरजमल, आठ ही के काठ के कोठरिया की प्रस्तुति दी। कलाकारों ने भोजपुरी गीतों से सभी का मनमोह लिया। महिलाओं के साथ पुरुषों ने भी रखा व्रत
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यूं तो छठ पर्व में अधिकतर महिलाएं विधिविधान से पूजन और व्रत करती हैं और घर के पुरुष भी पूरा सहयोग देते हैं। अर्घ्य के दौरान पति-पत्नी साथ में पूजन करते हैं। कुछ पुरुषों ने भी अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए छठ का व्रत रखा। गांधी नगर निवासी इंदू ने बताया कि छह पर्व केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है। इसमें पुरुष भी सहयोग करते हैं। व्रतधारण करने से छठ मैया की कृपा सभी पर बनी रहती है। महिलाओं ने घरों में कई तरह के पारंपरिक व्यंजन जैसे ठेकुआ बनाकर उनका भोग लगाया। इस दौरान गन्ना, अन्नानास, बड़ा नीबू और हल्दी जैसे उत्पादों का खास तौर पर इस्तेमाल होता है। रंगबिरंगी लाइट और सुरक्षा व्यवस्था
पश्चिम यमुना नहर बाईपास पर उचाना लेक से ही पुलिस ने नाका लगाया था, जो कि रविवार दोपहर तक रहा। किसी तरह की अनहोनी के लिए पुलिस कर्मचारी असंध पुल पर भी तैनात किए गए। श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण वाहनों को डायवर्ट कर दिया गया। छठ पर्व सेवा समिति मंडल सदस्यों की ओर से घाट और सड़क किनारों को रंगबिरंगी लाइटों से सजाया गया। भक्तों की श्रद्धा और छठी मैया के गीतों से वातावरण भक्तिमय हो गया। पूरी रात सूर्य मंदिर में भक्तों ने पूजा की और सुबह सूर्य को अर्घ्य दिया। छठपर्व सेवा समिति मंडल के अध्यक्ष सुरेश कुमार यादव ने बताया कि प्रशासनिक स्तर पर मिले सहयोग से कार्यक्रम संपन्न हुआ है। नहाय-खाय से शुरू किए व्रत संपूर्ण
चार दिवसीय छठ पूजा नहाय-खाय से 31 अक्टूबर से प्रारंभ हुआ था और 1 नंवबर को छठ का दूसरा दिन यानि खरना था। नहाय-खाय के दिन स्नान के बाद व्रत का संकल्प लिया और खरना की संध्या के समय छठी मैया के लिए माटी के चूल्हे पर नए बर्तन में गुड़ और चावल से खीर बनाई गई। सादी पूरियां, गुड़ की पूड़िया और मिठाइयां बनाकर केले के पत्तों पर छठी मैया के लिए प्रसाद निकाला जाता है। भोग लगाने के बाद व्रती इसी प्रसाद को ग्रहण करते हैं। इस पवित्र भोजन को ग्रहण करने के बाद व्रती अगले 36 से 40 घंटे तक कुछ भी नहीं खाते, जब तक वे उगते सूर्य को अर्घ्य ना दे लें। रविवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपूर्ण किया।
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