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    संस्कृत प्रोत्साहन के लिए समंवित प्रयासों पर बल

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 08 Feb 2021 05:40 AM (IST)

    जागरण संवाददाता करनाल हरियाणा संस्कृत अकादमी की एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी अ

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    संस्कृत प्रोत्साहन के लिए समंवित प्रयासों पर बल

    जागरण संवाददाता, करनाल: हरियाणा संस्कृत अकादमी की एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी और हरियाणा मानित सदस्यों की बैठक में विविध विषयों पर मंथन किया। इस अवसर पर संस्कृत प्रोत्साहन के लिए समन्वित प्रयासों का संकल्प दोहराया गया।

    श्री कृष्ण प्रणामी आश्रम आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादमी के निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने की। संगोष्ठी का शुभारंभ आचार्य मुकेश पांडेय ने वैदिक मंगलाचरण से किया। नई दिल्ली से आए लब्ध प्रतिष्ठ विद्वान अंकुर अग्रवाल मुख्य वक्ता रहे। भिवानी के डॉ. मुरलीधर द्विवेदी सारस्वत वक्ता के रूप में शामिल हुए। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत भारत की दिव्य आत्मा है। सभी को मिलकर संस्कृत के विकास के लिए काम करना चाहिए।

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    हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने अकादमी के सभी सदस्यों को प्रोत्साहित करते हुए कहा की संस्कृत विकास के लिए तन, मन और धन से कभी भी पीछे नहीं रहना चाहिए। इसी तरह भारत और संस्कृत का विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी माध्यम से भी संस्कृत का व्यापक प्रचार- प्रसार किया जाएगा। निदेशक ने अकादमी की गतिविधियों की सारगर्भित जानकारी दी।

    इस मौके पर अकादमी के सदस्य सिरसा के हरिओम भारद्वाज, कुरुक्षेत्र के डॉ. विनय सिघल, डॉ. अशोक कुमार सैनी, यमुनानगर के डॉ. सूरजभान व सोनीपत से आईं आचार्य दीक्षा भी उपस्थित रहीं। सभी सदस्यों ने संस्कृत विकास के लिए काम करने का संकल्प दोहराया। श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर के प्रधान जगत राज महाराज ने सभी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारत की सर्वोच्च प्रतिष्ठा है। नई दिल्ली से आए लब्ध प्रतिष्ठ विद्वान अंकुर अग्रवाल मुख्य वक्ता रहे। भिवानी के डॉ. मुरलीधर द्विवेदी सारस्वत वक्ता के रूप में शामिल हुए। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत भारत की दिव्य आत्मा है।