दवा का स्प्रे पहुंचा रहा नुकसान, छिड़काव के दौरान बरतें सावधानी
संवाद सहयोगी निसिग अगेती धान की फसल को कीटों के नुकसान से बचाने के लिए किसानों ने कीट ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, निसिग : अगेती धान की फसल को कीटों के नुकसान से बचाने के लिए किसानों ने कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर दिया है। खासकर उस धान में, जिसकी रोपाई 35 से 40 दिन पहले हुई थी। इन दिनों फसलों में दीमक व तना छेदक बीमारी का अधिक अंदेशा रहता है। सुरक्षा को लेकर किसान धान में यूरिया के साथ कारटप हाईड्रोक्लोराईड डाल रहे है। वहीं दीमक के अधिक प्रभाव वाले खेतों में किसान रेत में मिलाकर क्लोरोपाईरीफास दवा भी डाल रहे हैं। यह जमीन में मौजूद दीमक को खत्म कर देती है। दोनों प्रकार की दवाई जानलेवा है। इनके छिडकाव में विशेष सावधानियां बरतनी जरूरी है। कुछ किसान पौधों की ग्रोथ बढाने के लिए फुटाव वाली दवा भी डालते है। बकानी रोग की दवा भी डाली जा रही है। करें दस्तानों का इस्तेमाल
खंड कृषि अधिकारी डा. राधेश्याम गुप्ता के अनुसार कारटप धीमी गति से कार्य करती है। इससे धान का पौधा कड़वा हो जाता है। कीटक बीमारियां नहीं आती। खासकर तनाछेदक अन्य कीटों की रोकथाम का लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि फसल में उर्वरक सायं के समय डालना चाहिए। जबकि दवा का छिड़काव सुबह के समय करना चाहिए। दीमक व जड़ के अन्य कीड़ों को नियंत्रित करने वाली दवा को रेत में मिलाकर डालें। छिड़काव से पूर्व दस्तानों का इस्तेमाल करें। पूर्व या पश्चिम हवा चल रही है तो उतर से दक्षिण चलकर दवा डालें। छिड़काव के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ कर सरसों का तेल लगाए। छिड़काव के बाद नींबू पानी का सेवन करें। देसी घी भी पी सकते हैं। दवा चढ़ने के लक्षण व बचाव के तरीके
मेडिकल आफिसर डा. विकास गर्ग के अनुसार सीएचसी में दवा चढ़ने के कई मामले आ चुके हैं। अकसर लापरवाही के कारण किसानों को दवा चढ़ती है। दवा चढऩे पर व्यक्ति को चक्कर आने लगते है। जी मचलाना, उल्टी आना व घबराहट सहित सिरदर्द व पूरे में अधिक पीडा होती है। ऐसी स्थिति में रोगी को तुंरत नजदीकी अस्पताल ले जाकर उपचार दिलवाएं। जिस किसान के हाथ या पैर पर जख्म हों, वे कीटनाशक दवा के छिड़काव से परहेज करें। छिड़काव के बाद कम से कम दो घंटे न सोएं। काम करते समय मास्क पहनें। कभी भी खाली पेट दवा का छिड़काव न करें। छिड़काव के दौरान दूसरा व्यक्ति भी पास होना चाहिए।

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