'जो भाई कंधे पर खिलाया उसकी ही अर्थी...', विनय नरवाल की श्रद्धांजलि सभा में हर आंखें नम, CM की पत्नी के भी छलके आंसू
पहलगाम में आतंकी हमले में शहीद हुए नेवी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को करनाल में श्रद्धांजलि दी गई। बहन सृष्टि नरवाल ने बचपन की यादें साझा कीं जिससे माहौल गमगीन हो गया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की पत्नी सुमन सैनी भी भावुक थीं। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विनय आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देते। उन्हें सामाजिक रूप से बलिदानी माना गया।
जागरण संवाददाता, करनाल। पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले नेवी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की श्रद्धांजलि सभा में हर कोई भावुक हो गया। बहन सृष्टि नरवाल ने अपने भाई के साथ बचपन में बिताए पलों को याद किया तो सभागार में हर किसी की आंखें नम हो गईं।
सीएम नायब सिंह सैनी की पत्नी सुमन सैनी भी भावुक हो गईं। विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण ने आतंकी घटना को याद करते हुए कहा कि असलियत यह है कि अगर विनय के हाथ में उस समय कुछ होता तो वह आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब देता। उन्होंने कहा कि वह सामाजिक तौर पर विनय को बलिदानी मानते हैं।
विनय नरवाल को दी श्रद्धांजलि
डॉ. मंगलसेन सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में दादा हवा सिंह, पिता राजेश नरवाल, मां आशा नरवाल, पत्नी हिमांशी व बहन सृष्टि नरवाल ने विनय नरवाल की तस्वीर को सेल्यूट किया।
विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण, सीएम नायब सिंह की पत्नी सुमन सैनी, करनाल के विधायक जगमोहन आनंद, असंध के विधायक योगेंद्र राणा, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप शर्मा, डीसी उत्तम सिंह, एसपी गंगाराम पूनिया, गजेंद्र फोगाट, एसडीएम अनुभव मेहता, नौसेना मुख्यालय की ओर से कैप्टन अमित पुरी, कैप्टन शोभित अग्रवाल व लेफ्टिनेंट प्रिया विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों, सामाजिक, शैक्षणिक व धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने विनय नरवाल को श्रद्धांजलि अर्पित की।
बहन सृष्टि ने विनय के साथ बिताए बचपन को किया याद
बहन सृष्टि ने भाई विनय के साथ बिताए बचपन को याद किया तो पूरा सभागार भावुक हो गया। उसने कहा कि डिअर विनय, मेरे भैया, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस भाई ने पैदा होते ही मुझे अपनी गोद में खिलाया, मैं उसकी जिंदगी की अंतिम यात्रा में उसे कंधा दूंगी।
जिस भाई ने मुझे पटाखों के शोर से हमेशा बचाकर रखा। उसी भाई की शहादत की अंतिम सलामी की गूंज आज तक मेरे कानों में गूंज रही है। जिस भाई ने कभी मुझे आग के नजदीक तक नहीं आने दिया। उसी भाई को मैंने अपने हाथों से अग्नि दी।
जो भाई मुझे कभी रोता हुआ नहीं देख सकता था, जिसे मुझे रोते देखकर उसे रोना आ जाता था, आज मैं रो रही हूं तो वह है ही नहीं मेरे आसपास, मुझे चुप कराने के लिए। जब वह छोटे थे तो बहुत बार एलओसी कारगिल मूवी देखते थे। यह भाई की फेवरेट मूवी थी।
भाई मुझे कहते थे कि सृष्टि तेरा भाई भी एक दिन ऐसे ही तिरंगे में लिपटा हुआ आएगा तो मैं उन्हें बहुत डांटती थी। उसने अपने भाई को समर्पित करते अंग्रेजी में स्वरचित कविता का पाठ भी किया।
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