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    निजी कंपनी तथा सार्वजनिक कंपनियों में है बहुत बड़ा अंतर

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    Updated: Tue, 02 Oct 2012 05:36 PM (IST)

    जागरण संवाद केंद्र, करनाल : भारतीय कंपनी अधिनियम के अंतर्गत निजी कंपनी तथा सार्वजनिक कंपनियों के बीच क्या कोई मूल अंतर होता है या नहीं, इसके बारे में बता रहे हैं अखिल भारतीय कर व्यवसायी संघ के सदस्य शक्ति सिंह एडवोकेट।

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    भारत में कंपनियों का नियंत्रण भारतीय कंपनी अधिनियम से होता है। इस अधिनियम में कंपनियों के बारे में विस्तृत प्रावधान व नियम दिए हुए हैं। निजी कंपनी तथा सार्वजनिक कंपनियों में मूल अंतर क्या है इसका विस्तृत ब्योरा निम्न प्रकार है।

    न्यूनतम प्रदत्त पूंजी: निजी कंपनी में प्रदत्त पूंजी कम से कम एक लाख तथा सार्वजनिक कंपनी में पांच लाख रुपये होनी चाहिए।

    न्यूनतम व अधिकतम सदस्यों की संख्या: निजी कंपनी में न्यूनतम सदस्यों की संख्या दो तथा अधिकतम 50 से अधिक नहीं होनी चाहिए। सार्वजनिक कंपनी में न्यूनतम सात सदस्य होने चाहिएं, जबकि अधिकतम सदस्यों की संख्या पर कोई रोक नहीं है।

    संचालकों की संख्या: निजी कंपनी के शेयरों के अंतरण पर प्रतिबंध होता है। इसके विपरीत सार्वजनिक कंपनी के शेयर अंतरण पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं होता।

    व्यवसाय का प्रारंभ: सार्वजनिक कंपनी को व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए समामेलन प्रमाणपत्र के साथ-साथ व्यवसाय प्रारंभ करने का प्रमाणपत्र भी प्राप्त करना होगा, किंतु एक निजी कंपनी समामेलन का प्रमाणपत्र प्राप्त करते ही व्यवसाय प्रारंभ कर सकती है।

    अंशों का आवंटन व अंश अधिपत्र: निजी कंपनी समामेलन का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के पश्चात अपने अंशों का आवंटन कर सकती है तथा अंश अधिपत्र निर्गमित नहीं कर सकती है। सार्वजनिक कंपनी को समामेलन का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के साथ न्यूनतम अभिदान प्राप्त करना आवश्यक है और वह अपने पूर्णदत्त अंशों के बदले अंश अधिपत्र निर्गमित कर सकती है।

    प्रबंधकीय पारिश्रमिक: निजी कंपनी में प्रबंधकीय पारिश्रमिक देने के लिए किसी प्रकार की कोई सीमा लागू नहीं होती। जबकि सार्वजनिक कंपनी में शुद्ध लाभ के 11 प्रतिशत से अधिक प्रबंधकीय पारिश्रमिक नहीं दे सकते हैं।

    लिमिटेड शब्द का प्रयोग: निजी कंपनी को अपने नाम के साथ प्राइवेट लिमिटेड शब्द तथा सार्वजनिक कंपनी को लिमिटेड शब्द लगाना अनिवार्य है।

    सामान्यत: बड़ा व्यापार प्रारंभ करने के लिए एक सार्वजनिक कंपनी का निर्माण किया जाता है, जबकि छोटे व्यवसायों के लिए एक निजी कंपनी उपयुक्त रहती है।

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