भाइयों की कलाइयों पर सजेंगी गाय के गोबर से बनी राखियां, करनाल में रक्षाबंधन से पहले अनोखा पहल
करनाल में गोवंश को बचाने और गोपालकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गोबर से राखियां मूर्तियां और अन्य कलाकृतियां बनाई जा रही हैं। सेवा भारती परिसर में गोमय स्वावलंबी यात्रा के तहत गो उत्पाद निर्माण अभियान शुरू किया गया है जिसमें महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण में गोबर और गोमूत्र से दैनिक उपयोग की वस्तुएं बनाना सिखाया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, करनाल। कर्ण नगरी से गोवंश को बचाने और गोपाालकों को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत की जा चुकी है। रक्षाबंधन के अवसर पर राखियां और रक्षा सूत्र बनाए है। इनका करनाल के सेवा भारती कार्यालय में पूजन किया गया। मुख्य अतिथि सांखला क्लासिज के एसएल सांखला थे।
गाय के गोबर से अब भगवान की मूर्तियां, वंदनवार, पूजा की माला धूप बत्तियां शिव स्वरूप के साथ-साथ अन्य कलाकृतियां बनाई जा रही है। सेवा भारती परिसर में गोमय स्वावलंबी यात्रा की प्रेरणा को लेकर गो उत्पाद स्वाबलंबी प्रकल्प के तहत गो उत्पाद निर्माण अभियान की शुरुआत की गई हैं।
इस अवसर पर सेवा भारती से रोशन लाल गुप्ता, पूनम पांचाल व राममेहर उपस्थित थे। प्रशिक्षण की अगुवाई जगाधरी से आए तरुण जैन ने की। गाय के गोबर और मूत्र से दैनिक उपयोग में आने वाली सामग्री बनाई जा रही हैं। तरुण जैन अब तक 750 महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुके है। उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन पर सात्विक राखियां बनाई गई है। यहां से तीन सौ रक्षा सूत्र तथा राखियां नागपुर भेजी है।
इसके अलावा 21 हजार राखियां और इतने ही रक्षा सूत्र बनाए है। हरियाणा में सभी विशिष्ट जनों कर गोमय राखियां भेंट की जाएंगी। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सेवा भारती के सुरेंद्र ग्रोयल और रोशन लाल गुप्ता के देखरेख में चल रहा हैं। महाराष्ट्र से आए सचिन और आशीष ने बताया कि उन्होंने नागपुर और बिदर्भ के आदिवासियों के इलाके में इस अभियान को शुरू किया। इसके माध्यम से आदिवासियों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना था।
वहीं, पर उन्हें ईसाई मिशनरी द्वारा धर्मांतरण के कुचक्र से बचाकर गोसंबंर्धन के साथ जोड़ कर सनातन संस्कृति के नजदीक लाना है। वह अब तक दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश महराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब सहित देश के विविध भागों में प्रशिक्षण दे चुके हैं। इसके लिए उन गायों के गोबर का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें बांधा नहीं जाता है और ना ही उन्हें केमिकल दिया जाता हैं।
इन उत्पादों को बनाने का दिया जाएगा प्रशिक्षण प्रशिक्षण के दौरान गोमुत्र अर्क 12 प्रकार के (भिन्न भिन्न रोगों के लिए), घनवटी नौ प्रकार की (भिन्न भिन्न रोगों के लिए), पित्तशामक चूर्ण, काला दंत मंजन, सादा दंत मंजन, गोमुत्र से फिनाइल गोबर से डिजाइनर कंडे कपूर वाले गोबर से सजावट का सामान गोबर से मोमेंटो, गोबर से माला, गोबर से एंटी रेडिएशन मोबाइल बैक कवर गोबर से दिया।
गोबर से राखिया व गोबर से नेमप्लेट बनाई जाती है। इसके साथ ही एंटी रेडिएशन मोबाइल स्टैंड, गोबर से तोरण, गोबर से संबरानी कप, गोबर से धूपबत्ती छह प्रकार की, गोबर से मूर्तिया, गोबर से समिधा/लकड़ी व गोबर से गमले सहित कई उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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