डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देने में एनडीआरआइ का अहम योगदान : डॉ. श्रीकांत
जागरण संवाददाता, करनाल : राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में पशुधन में आनुवांशिक सुधार के लिए उन् ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, करनाल :
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में पशुधन में आनुवांशिक सुधार के लिए उन्नत जीवद्रवों का परीक्षण एवं वृद्धि विषय पर चल रहे 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का मंगलवार को समापन हो गया। इसमें पंजाब, असम, कर्नाटक, गुजरात, छतीसगढ़ सहित देश के नौ राज्यों से 21 प्रतिभागियों को पशु प्रजनन से संबंधित गुर सिखाए गए।
लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. श्रीकांत ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की और प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। डॉ. श्रीकांत ने कहा कि जिस प्रकार से हिन्दुस्तान की जनसंख्या बढ़ रही है उस हिसाब से प्रति व्यक्ति दूध की मांग को पूरा करने के लिए हमारे पशु विज्ञान के वैज्ञानिकों को पशुधन में सुधार करने के लिए और अधिक लगन से काम करने की जरूरत है। आप सब ने जो ज्ञान यहां से अर्जित किया है उसे किसानों एवं पशुपालकों तक भी जरूर पहुंचाए ताकि डेयरी के क्षेत्र में आ रही समस्याओं को दूर किया जा सके। उन्होंने संस्थान की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश में डेयरी के क्षेत्र बढ़ावा देने में एनडीआरआइ का अहम योगदान है। संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डॉ. एके श्रीवास्तव ने कहा कि देश में पशुधन उत्पादकता को बढ़ावा देने में अच्छे जर्मप्लाजम की कमी, पशुओं में कम प्रजनन करने की दर, अच्छी गुणवता का चारा व फीड की कमी, अप्रर्याप्त रोग प्रबंधन जैसी कई प्रकार की बाधाएं है। देश में इस समय 191 मिलियन गाय और 108 मिलियन भैंस हैं। लगभग 70 प्रतिशत गाय और 56 प्रतिशत भैंस जोकि अभी तक कैटेगराइजड़ वर्गीकृत नहीं हैं उनकों कैटेगराइजड़ करना होगा। उन्होंने कहा कि देश में 160 मिलियन फ्रोजन सीमन की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में 90 मिलियन डोज सीमन ही तैयार हो पाता है। इस हिसाब से 70 मिलियन डोज सीमन की कमी है। इसलिए हमें इस समय तकनीक का सहारा लेते हुए पशुधन के आनुवांशिक क्षमता को बढ़ावा देने की जरूरत है, ताकि कम पशुओं से ज्यादा दूध उत्पादन किया जा सके। इसलिए हमें अच्छे पशुओं की पहचान करनी होगी और उनकी संख्या को बढ़ाना होगा।
541 को दिया जा चुका है प्रशिक्षण
डॉ. एके चक्रवर्ती ने बताया कि यह 21 दिवसीय कोर्स आइसीएआर द्वारा स्थापित सेंटर फॉर एडवांस फैकल्टी ट्रे¨नग इन एनीमल जेनेटिक एंड ब्री¨डग के तहत करवाया गया। जिसका उद्देश्य प्रशिक्षणार्थियों को जेनेटिक ब्री¨डग के क्षेत्र में विकसित नई नई तकनीकों से अवगत करवाना रहा। उन्होंने बताया कि अब तक 32 ट्रे¨नग प्रोग्रामों के माध्यम से 541 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक अनुसंधान डॉ. आरके मलिक, संयुक्त निदेशक शैक्षिक डॉ. आरआरबी ¨सह, डॉ. एके चक्रवर्ती व डॉ. एके गुप्ता उपस्थित रहे।

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