महान राष्ट्रवादी थे देशबंधु चितरंजन दास : अरोड़ा
जागरण संवाददाता, करनाल : स्वतंत्रता सेनानी चितरंजन दास की जयंती पर प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति की ओर
जागरण संवाददाता, करनाल : स्वतंत्रता सेनानी चितरंजन दास की जयंती पर प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति की ओर से जयंती सभा का आयोजन किया गया। जयंती सभा में उपस्थित समिति के सदस्यों ने कार्यक्रम के आरंभ में चितरंजन दास के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। जयंती सभा की अध्यक्षता समिति के वरिष्ठ सदस्य मुनिराज शर्मा एवं पवन कुमार भट्ट ने की। जयंती सभा को संबोधित करते हुए समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र अरोड़ा ने कहा कि चितरंजन दास एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। जिनका जीवन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में युगांतकारी था। चितरंजन दास को प्यार से देशबंधु कहा जाता था। वह महान राष्ट्रवादी तथा प्रसिद्ध विधि शास्त्री थे। चितरंजन दास अलीपुर षड़यंत्र कांड के अभियुक्त अर¨वद घोष के बचाव के लिए पक्ष के वकील थे। असहयोग आंदोलन के अवसर पर उन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी थी। 1921 में अहमदाबाद में कांग्रेस के हुए अधिवेशन में चितरंजन दास अध्यक्ष थे। चितरंजन दास स्वराज्य पार्टी के संस्थापक थे। उन्होंने 1923 में लाहौर तथा 1924 में अहमदाबाद में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अध्यक्षता की थी। चितरंजन दास का जन्म 5 नवंबर 1870 को हुआ। ब्रह्म समाज के कट्टर समर्थक देशबंधु अपनी तीक्षण बुद्धि और पत्रकारीय ²ष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। शिक्षा के लिए देशबंधु चितरंजन दास ने ढाका में राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना की। भारत की आजादी के आंदोलन में चितरंजन दास के योगदान के लिए उन्हें सह सम्मान याद किया जाता है। एक बड़े लंबे समय तक उन्होंने देश की सेवा की। चितरंजन दास उच्च कोटी के राजनीतिक कवि और पत्रकार थे। उन्होंने अपने घर को अस्पताल बनाने के लिए दान दिया था। उनकी याद में चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्ट्रीटयूट व चितरंजन पार्क दिल्ली में बनाए गए। इस अवसर पर मुख्य रूप से बहन निर्मल फूले, बहन कांता शर्मा, बलवान ¨सह फौजी, अमन ¨सह लबाणा, सतीश पांचाल, प्रमोद नागपाल, देवाशीश शर्मा आदि उपस्थित थे।
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