गन्ने की अगेती व अधिक मीठी किस्में करेंगे ईजाद
जागरण संवाददाता, करनाल : गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्र अनुसंधान केंद्र करनाल में गन्ने की अधिक शर्करा
जागरण संवाददाता, करनाल : गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्र अनुसंधान केंद्र करनाल में गन्ने की अधिक शर्करा वाली व अगेती प्रजातियां ईजाद करने पर जोर दिया जाएगा। रोग रोधी किस्में विकसित करने पर केंद्र विशेष ध्यान दे रहा है ताकि किसानों का मुनाफा बढ़ने के साथ चीनी उत्पादन में वृद्धि हो। गन्ने की फसल में लगने वाले कीटों की रोकथाम पर जोर देंगे। केंद्र के अध्यक्ष डॉ. नीरज कुलश्रेष्ठ ने किसानों को संदेश दिया कि वह अच्छी पैदावार देने वाली रोग रोधी किस्मों को अपनाएं।
उन्होंने 3 नवंबर को केंद्र में अध्यक्ष के पद का कार्यभार संभालने के बाद केंद्र में अनुसंधान कार्यो को गति देने पर बल दिया है। इससे पहले वह केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल (सीएसएसआरआइ) में गेहूं फसल सुधार प्रभाग में वैज्ञानिक के तौर पर करीब 11 साल काम कर चुके हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ शुगरकेन रिसर्च लखनऊ में उन्होंने वैज्ञानिक के पद पर दस साल काम किया। सीएसएसआरआइ में सेवाएं देने के उपरांत अब उन्होंने गन्ना प्रजनन केंद्र में अध्यक्ष का कार्यभार संभाला है। डॉ. नीरज कुलश्रेष्ठ ने कहा कि गन्ने की खेती कई मायनों से बहुत लाभकारी है। हरियाणा में किसान गेहूं-धान के फसल चक्र पर अधिक जोर देते हैं। इसके साथ गन्ने का रकबा और बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उपयुक्त समय पर गन्ने की किस्मों की बिजाई करनी चाहिए। गन्ने के साथ अंत:फसलें लेकर दोहरा मुनाफा लें। गन्ने की कटाई उपरांत उसके हरे पत्ते मवेशियों को चारे के रूप में खिलाए जाते हैं। गन्ना उत्पादक किसानों के पास चारे का संकट नहीं रहता। शेष सूखी पत्तियों को खेत में फैलाया जाता है। जिससे खरपतवार नियंत्रण होने के साथ भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ जाती है। दो-तीन साल बाद गन्ने के खेत में दूसरी फसल लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि धान की अपेक्षा गन्ने की फसल में अधिक पानी की खपत नहीं होती। इससे ना सिर्फ चीनी बल्कि बायोमास प्राप्त होता है। इथोनाल, शीरा, खोई, बिजली व उच्च गुणवत्ता का कागज आदि उत्पाद लिए जाते हैं। कृषि कार्यो में घटती श्रम शक्ति के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत में गन्ने में केवल हारवेस्टिंग पर अभी कामयाबी नहीं मिली। गन्ने की प्लांटिंग मशीनरी कामयाब है। बिजाई के लिए अच्छे कटर प्लांटर प्रभावी रूप से काम करते हैं। जो खाद डालने के साथ गेहूं की बिजाई तक गन्ने के साथ कर देते हैं। निलाई-गुड़ाई का कार्य मशीन से संभव हुआ है। गन्ने की मशीन से हारवेस्टिंग के लिए रॉ स्पेस स्टैंडर्ड (लाइन से लाइन की दूरी) होता है। आस्ट्रेलिया में हारवेस्टर कामयाब है। उसके लिए वह किस्में उपयुक्त रहती हैं जो गिरती नहीं। उनकी पत्तियां खुद झड़ जाती हैं। इस कार्य पर भारत में कुछ अनुसंधान चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को गन्ने की उन्नत किस्मों को अपनाना चाहिए। किसान उच्च गुणवत्ता की प्रजाति का ज्यादा बीज ना लेकर थोड़ा बीज हासिल कर उसे अपने खेत में बढ़ावा दे सकते हैं। किसानों के मार्गदर्शन के लिए यह केंद्र समर्पित है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।