प्राचीन फल्गू तीर्थ से होती है गांव फरल की पहचान
गांव फरल प्राचीन इतिहास समेटे हुए है इस गांव की पहचान महाभारत कालीन फल्गू तीर्थ से होती है। फल्गू तीर्थ का उल्लेख वामन पुराण महाभारत के वन पर्व में भी आता है। कहा जाता है कि पांडवों ने युद्ध के बाद अपने पूर्वजों व सगे-सबंधियों की आत्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए फल्गू तीर्थ पर पिडदान करवाया था।

संजय तलवाड़, पूंडरी (कैथल): गांव फरल प्राचीन इतिहास समेटे हुए है, इस गांव की पहचान महाभारत कालीन फल्गू तीर्थ से होती है। फल्गू तीर्थ का उल्लेख वामन पुराण, महाभारत के वन पर्व में भी आता है। कहा जाता है कि पांडवों ने युद्ध के बाद अपने पूर्वजों व सगे-सबंधियों की आत्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए फल्गू तीर्थ पर पिडदान करवाया था। इसके बाद से ही आश्विन मास की सोमवती अमावस्या पर यहां बड़े स्तर पर मेला लगता है। इसमें न केवल राज्यभर से बल्कि देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। तीर्थ में स्नान करने के बाद पिडदान करवाया जाता है।
पूर्व में आयोजित हुए मेलों में विधायक, सांसद, मंत्री व मुख्यमंत्री भी यहां पहुंचकर पूजा-अर्चना कर चुके हैं। ग्रामीण बताते हैं कि ऐतिहासिक श्री फल्गु तीर्थ पर श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को 16 श्राद्धों में मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश और विदेश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु तीर्थ में स्नान व पितरों के नियमित पिडदान करवाने के लिए पहुंचते है। आश्विन मास में जब भी सोमवती अमावस्या आती है, चाहे वह कितने वर्ष के बाद क्यों न आए मेले का आयोजन होता है। इससे पहले वर्ष 2018 में लगा था मेला
ग्रामीण भीमसेन, रामफल, विक्रम सिंह, बजेंद्र सिंह व विक्की राणा, संदीप, राकेश, कुलदीप ने बताया गांव फरल में तीर्थ पर इससे पूर्व वर्ष 2018 में मेले लगा था। ग्रामीणों ने बताया कि इस वर्ष भी 26 सितंबर को भी थोड़े से समय के लिए अमावस्या आ रही है, जो 25 सितंबर दिन रविवार को सुबह 3.14 बजे से शुरू होकर 26 सितंबर दिन सोमवार को सुबह 3.26 बजे पर समाप्त होगी, जबकि पहला श्राद्ध पूर्णिमा 10 सितंबर को होगा। ग्रामीणों और श्रद्धालुओं का कहना है कि श्राद्ध पक्ष में ही अमावस्या सोमवार में आ रही है, जिसके चलते दूर-दूर से श्रद्धालु तीर्थ में पूजा पाठ और श्राद्ध करने के लिए पहुंचेंगे। कुछ ज्योतिषियों का मत है कि अमावस्या सूर्योदय से पहले है, जिस कारण सोमवती अमावस्या का स्नान नहीं बनता है। सूर्योदय के बाद से कोई तिथि मान्य होती है, लेकिन सरकार चाहे तो मेले का आयोजन हो सकता है, क्योंकि श्रद्धालु तो आते ही है। इसके बाद सोमवती अमावस्या वर्ष 2028 में आने वाली है। 12 हजार के करीब है गांव की आबादी
पूंडरी खंड के गांव फरल में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चलाया जा रहा है। यहां सीएचसी का भवन भी तैयार हो चुका है। गांव राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय है। गांव में एक पंचायत है। आबादी 12 हजार के करीब है और सात हजार मतदाता है। गांव में चार राजकीय स्कूल व चार निजी स्कूल चल रहे हैं।
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