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    कैथल श्रम विभाग पोर्टल 6 महीने से बंद, करोड़ों की पेमेंट अटकी; हजारों मजदूर परेशान

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 03:00 PM (IST)

    कैथल के जिला श्रम विभाग कार्यालय का पोर्टल पिछले छह माह से बंद है, जिससे करोड़ों रुपये की पेमेंट अटकी हुई है। 81 हजार से अधिक पंजीकृत मजदूरों को सरकार ...और पढ़ें

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    सुरेंद्र सैनी, कैथल। जिला श्रम विभाग कार्यालय का पोर्टल पिछले छह माह से भी ज्यादा समय से बंद पड़ा हुआ है। पोर्टल बंद होने के कारण न तो कोई नए आवेदन हो रहे हैं और न ही पूर्व में किस गए आवेदनों की पेमेंट पात्र लोगों को मिल रही है।

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    सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने के कारण लोगों में रोष बढ़ रहा है। मजदूर संगठनों की तरफ से भी इस बारे में रोष प्रदर्शन किया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद पोर्टल को शुरू नहीं किया जा रहा है।

    बता दें कि जिले में 81 हजार 835 मजदूर पंजीकृत हैं, इनमें से 70 हजार 282 मजदूरों का रिकार्ड आफलाइन है तो 14 हजार 521 मजदूरों का रिकार्ड आनलाइन दर्ज है।

    पंजीकृत मजदूरों में महिला मजदूर 50 हजार 905 तो पुरुष मजदूरों की संख्या 30 हजार 929 है। सरकार की तरफ से करीब 29 योजनाएं विभाग के माध्यम से चलाई हुई हैं, जिनका लाभ पात्र लोगों को दिया जाता है।

    बता दें कि सरकार की तरफ से विभाग के तहत हुए 90 दिनों के कार्यों में अनियमितता पाए जाने पर इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है।

    इन कार्यों की जांच को देखते हुए पोर्टल बंद किया गया है। वर्क स्लिप घोटाला की जांच कैथल सहित हिसार, जींद, सिरसा, फरीदाबाद व भिवानी जिले में चल रही है।

    विभागीय कार्यों की जांच के चलते फंड भी रोक दिया गया है। इस कारण स्कीमों का लाभ उठाने के लिए लोगों द्वारा किए गए आवेदनों की राशि अटकने से लोग कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। छह माह से करोड़ों रुपये की राशि अटकी हुई है।

    बताया जा रहा है कि सनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक के दौरान यह वर्क स्लिप घोटाला सामने आया थ। मजदूरों की 90 दिनों की वर्क स्लिप का जो वेरिफिकेशन किया गया था, इसमें अगस्त 2023 से मार्च 2025 के बीच 1196759 श्रमिकों की वर्क स्लिप का वेरिफिकेशन किया गया, जिसमें अंतर मिला।

    इसे देखते हुए संंबंधित जिलों में विभाग द्वारा तीन माह में किए गए कार्यों को देखते हुए पोर्टल बंद किया हुआ है। लोगों का कहना है कि मजदूरी का कार्य करने वाले जो पात्र लोग हैं, उन्हें तो योजनाओं का लाभ ही नहीं मिल पा रहा है। दलालों के माध्यम से वे लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं, जो पात्र नहीं है। इस बारे में जांच की जानी चाहिए।

    इन योजनाओं के माध्यम से दिया जाता है पात्र लोगों को लाभ

    -पंजीकृत मजदूर की बेटी को इलेक्ट्रिक स्कूटी

    -मजदूर परिवार के बच्चों को स्कूल फीस का लाभ

    -कोचिंग कक्षाओं के लिए वित्तीय सहायता

    -मुख्यमंत्री महिला श्रमिक सम्मान योजना

    -साइकिल योजना, कन्यादान योजना

    -बच्चों की शादी में वित्तीय सहायता

    -सिलाई मशीन योजना

    -गंभीर बीमारी का इलाज में आर्थिक सहायता।

    -मकान की रिपेयर का कार्य

    -पेंशन की योजना

    -मुख्यमंत्री सामाजिक सुरक्षा योजना

    -मृत्यु सहायता एवं अंतिम सरकार हेतू आर्थिक सहायता

    -पंजीकृत श्रमिक की मृत्यु के बाद परिवार को आर्थिक सहायता

    -औजार, टूल, किट खरीदने के लिए राशि

    जिला श्रम कार्यालय में सात कर्मचारी है, सभी कर्मचारी अस्थायी हैं। कार्यालय इंचार्ज उषा अरोड़ा पर कैथल के साथ-साथ यमुनानगर व कुरुक्षेत्र का कार्यभार है।

    इस कारण कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। विभागीय योजनाओं की जानकारी लेने के लिए आने वाले लोग जब भी श्रम अधिकारी से मिलने की बात कहते हैं तो कार्यालय में न होने की जानकारी ही मिल पाती है। ऐसे में लोगों को बिना काम के वापस लौटना पड़ता है।

    भवन निर्माण मजदूर संघ हरियाणा के जिला प्रधान मनोज ने बताया कि पोर्टल बंद होने के कारण मजदूर परिवारों को नुकसान हो रहा है। सरकार की तरफ से मजूदरों के हितों को लेकर चलाई गई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

    उनकी सरकार से मांग है कि पोर्टल को जल्द से जल्द शुरू किया जाए। अधिकारियों ने मिलीभगत करते हुए योजनाओं में गोलमाल किया है, लेकिन नुकसान मजदूरों को उठाना पड़ रहा है।

    जिला श्रम अधिकारी उषा अरोड़ा ने बताया कि कई माह से पोर्टल बंद पड़ा हुआ है। कब खुलेगा इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। उनके पास कैथल के अलावा यमुनानगर व कुरुक्षेत्र जिले का भी कार्यभार है। बुधवार का दिन कैथल के लिए तय किया हुआ है।