गांव बाबा लदाना के गरीबों को न्याय की उम्मीद: पंच-सरपंच व ग्राम सचिव पर होगी एफआइआर, तत्कालीन बीडीपीओ पर विभागीय कार्रवाई
पंकज आत्रेय कैथल गांव बाबा लदाना के 229 परिवारों को आखिर 13 साल बाद इंसाफ मिलने जा रहा है। उपायुक्त प्रदीप दहिया के प्रयासों से इन गरीबों को आशियाने बनाने के लिए प्लाट मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इतना ही नहीं अभी तक जिस पंच सरपंच सहित अधिकारियों ने उन्हें उनके अधिकार से महरूम रखा उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई भी होगी। इसमें तत्कालीन पंच सरपंच ग्राम सचिव और बीडीपीओ शामिल हैं।

पंकज आत्रेय, कैथल : गांव बाबा लदाना के 229 परिवारों को आखिर 13 साल बाद इंसाफ मिलने जा रहा है। उपायुक्त प्रदीप दहिया के प्रयासों से इन गरीबों को आशियाने बनाने के लिए प्लाट मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इतना ही नहीं, अभी तक जिस पंच, सरपंच सहित अधिकारियों ने उन्हें उनके अधिकार से महरूम रखा उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई भी होगी। इसमें तत्कालीन पंच, सरपंच, ग्राम सचिव और बीडीपीओ शामिल हैं।
वर्ष 2009 में 229 गरीब परिवारों को महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत 100-100 गज के प्लाटों के लिए जमीन आवंटित की गई थी। तत्कालीन पंचायत ने इस जमीन को मार्केट कमेटी को बेच दिया था और अब इस पर हरियाणा वेयरहाउस कार्पोरेशन ने गोदाम बना दिए हैं। आठ माह से धरने पर बैठे लाभार्थियों की शिकायत पर उपायुक्त प्रदीप दहिया ने जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमित कुमार को जांच सौंपी थी। जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट उपायुक्त को सौंप दी है, जिसमें वर्ष 2011 के पंच, सरपंच और ग्राम सचिव के साथ-साथ तब के खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (बीडीपीओ) कैथल की लापरवाही उजागर हुई है। इसके चलते तत्कालीन पंच, सरपंच सुरेश और ग्राम सचिव के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के लिए उपायुक्त ने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी को पत्र लिखा है। इनमें ग्राम सचिव की अब मौत हो चुकी है।
पूरी रिपोर्ट के आधार पर उपायुक्त संज्ञान लेते हुए तत्कालीन बीडीपीओ शंकर गोयल के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं। शंकर गोयल अब जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी बन चुके हैं। इस मामले में संबंधित पटवारी को क्लीन चिट दी गई है, क्योंकि इस प्रकरण में उनकी जवाबदेही नहीं बनती। यह है मामला
वर्ष 2009 में 229 गरीब परिवारों को महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत 100-100 गज के प्लाटों के लिए जमीन आवंटित की गई थी। ग्राम पंचायत बाबा लदाना की जमीन के खसरा नंबर 25 व 26 के अंतर्गत 104 लोगों के नाम 100-100 गज के प्लाटों की रजिस्ट्री करवाई गई थी। शेष की रजिस्ट्री पंच और सरंपच ने नहीं करवाई थी। जमीन की रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन करवाना होता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। इसके विपरीत पंचायत ने जमीन को मंडी बोर्ड को बेच दिया। बता दें कि आगे वेयरहाउस ने मार्केट कमेटी से गांव बाबा लदाना में 10 एकड़ पांच कनाल और 14 मरले जमीन ले ली थी। इसमें से 3.81 एकड़ जमीन पर गोदाम बनाए जा रहे हैं। इनकी क्षमता तकरीबन 15 हजार मीट्रिक टन भंडारण की है। 25 लाख प्रति एकड़ में बेची जमीन
गांव बाबा लदाना की पंचायत ने वर्ष 2012 में करीब 18 एकड़ जमीन मार्केट कमेटी को 25 लाख रुपये से ज्यादा प्रति एकड़ के हिसाब से बेच दी थी। यह जमीन खसरा नंबर 25 के तहत आती है। मार्केट कमेटी ने इस पूरी जमीन के लिए पंचायत को चार करोड़ 67 लाख रुपये का भुगतान किया था। जब कमेटी ने यह जमीन खरीदी, उस वक्त न तो किसी ग्रामीण के पास रजिस्ट्री थी, न ही इंतकाल और न ही किसी का कब्जा था। गांव बाबा लदाना में महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत 100-100 गज के प्लाट लाभार्थियों को दिए गए थे, लेकिन जमीन को आगे सरकारी विभाग को बेच दिया गया था। जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमित कुमार ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस मामले में उस वक्त के सरपंचों और पंचायत विभाग के कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका रही है। दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। गरीबों को मकान बनाने के लिए दूसरी जगह जमीन दी जाएगी। नए सिरे से होंगी रजिस्ट्री
जांच अधिकारी जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमित कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन ने इन गरीबों को गांव में ही उपलब्ध जमीन पर नए सिरे से प्लाट देने की योजना बनाई है। संभवतया यह प्रक्रिया 15 दिन से एक माह में पूरी भी कर ली जाएगी। सबसे पहले पुराने रजिस्ट्रेशन को रद करके लाभार्थियों के नाम से नए सिरे से रजिस्ट्री की जाएंगी। प्रशासन का प्रयास है कि इन सभी को एक ही जगह प्लाट आवंटित किए जाएं ताकि बिजली, पानी, सीवरेज जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने में संबंधित विभागों को भी सहूलियत रहे। बाबा लदाना वाले मामले में गरीबों के साथ अन्याय हुआ है, लेकिन अब उन्हें नए सिरे से प्लाट आवंटित किए जाएंगे। हमें इसके लिए जगह उपलब्ध हो गई है। सरकार ने जो जमीन गरीबों के लिए दी थी जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि तत्कालीन पंच और सरपंच ने उसका म्यूटेशन नहीं करवाया और जमीन वेयरहाउस को दे दी। तत्कालीन पंच, सरपंच व ग्राम सचिव के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। तत्कालीन बीडीपीओ शंकर गोयल के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।
- प्रदीप दहिया, उपायुक्त कैथल।
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