Updated: Sun, 01 Jun 2025 02:16 PM (IST)
कैथल में अतिरिक्त सैशन जज ने अपहरण दुष्कर्म धमकी और पॉक्सो एक्ट के आरोपी को बरी कर दिया। युवती ने 2019 में आकाश नामक व्यक्ति पर नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म करने और बाद में ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। अदालत ने बचाव पक्ष की दलीलों और सबूतों के आधार पर आरोपी को निर्दोष पाया यह मानते हुए कि दो साल तक सहमति से संबंध बनाए रखना बलात्कार नहीं है।
जागरण संवाददाता, कैथल। अतिरिक्त सैशन जज अनुपामिश मोदी ने अपहरण, दुष्कर्म, धमकी व पॉक्सो एक्ट के आरोपित को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। इस बारे में युवती ने महिला थाना में केस दर्ज करवाया था। बचाव पक्ष की ओर से मुकदमे की पैरवी एडवोकेट मंदीप सिंह ने की।
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जानकारी अनुसार शिकायतकर्ता युवती की अगस्त 2019 में आकाश निवासी शक्ति नगर के साथ इंटरनेट मीडिया पर जान पहचान हुई थी। फिर युवती व आकाश मिलने लगे। आरोप है कि सितंबर 2019 में आकाश युवती को बहला फुसला कर एक कैफे में ले गया जहां उसने कोल्ड ड्रिंक में कुछ नशीला पदार्थ मिलाकर युवती को पिला दिया, जिससे वह बेहोश हो गई।
शिकायत के अनुसार उस समय युवती की उम्र लगभग साढ़े 17 साल थी। इसके बाद आकाश ने युवती के साथ उसकी मर्जी के बिना बेहोशी की हालत में शारीरिक संबंध बनाए। आकाश उसके बाद कहने लगा कि वे उससे शादी करना चाहता है। उससे गलती हो गई है, माफ कर दो।
जब युवती ने अपने घर व पुलिस को शिकायत करने बारे कहा तो आकाश कहने लगा कि यदि किसी से भी कहा तो जान से मार दूंगा। एफआईआर के अनुसार आकाश ने युवती के अश्लील फोटो खींच लिए और ये फोटो नेट पर अपलोड करने की धमकी दी।
इसके बाद आकाश युवती को इमोशनल ब्लैकमेल करने लगा लेकिन युवती ने लोक लाज के डर से किसी को नहीं बताया। इस बात का फायदा उठा कर आकाश लगातार दो साल तक युवती का शोषण करता रहा। युवती का आरोप है कि इस बीच वह गर्भवती भी हो गई थी, लेकिन आकाश ने उसका गर्भपात करवा दिया।
इस प्रकार आकाश युवती के साथ दो साल तक गलत काम करता रहा और शादी का झांसा देकर ब्लैकमेल करता रहा। इस शिकायत पर महिला पुलिस ने केस दर्ज करके आकाश को गिरफ्तार कर लिया और चालान अदालत को सौंप दिया।
मामले में कुल 16 गवाह पेश किए गए। बचाव पक्ष की दलीलों से अदालत ने माना कि दो साल तक मर्जी से रिलेशन में रहना रेप नहीं कहा जा सकता। एडीजे अनुपामिश मोदी ने दोनों पक्षों को सुना और गवाहों तथा सबूतों के आधार पर आकाश को निर्दोष पाया। अपने 39 पेज के फैसले में अदालत ने उसे बरी कर दिया।
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