सैकड़ों वर्ष पुराना है बरगद का पेड़, टहनियां तोड़ना भी पाप मानते हैं ग्रामीण
ऐतिहासिक गांव फरल में विश्व प्रसिद्ध फल्गु तीर्थ पर एक सैकड़ों साल पुराना बरगद का पेड़ खड़ा है। ग्रामीणों को नहीं पता कि पेड़ कितना पुराना है लेकिन जिससे भी पूछो यही कहता है कि हमने तो इस पेड़ को इतना ही बड़ा देखा है।

संवाद सहयोगी, पूंडरी (कैथल) : ऐतिहासिक गांव फरल में विश्व प्रसिद्ध फल्गु तीर्थ पर एक सैकड़ों साल पुराना बरगद का पेड़ खड़ा है। ग्रामीणों को नहीं पता कि पेड़ कितना पुराना है, लेकिन जिससे भी पूछो यही कहता है कि हमने तो इस पेड़ को इतना ही बड़ा देखा है।
ग्रामीण पंडित भीमसेन गौड, रामगोपाल, रविद्र राणा, अशोक कुमार का कहना है कि यह पेड़ इतना पुराना है कि कभी यहां ऋषि मुनी तप करते थे। गांव बनने के बाद से इस पेड़ के नीचे की बड़ी-बड़ी पंचायतें होती थी। गर्मी के मौसम में ज्यादातर ग्रामीण इस पेड़ के नीचे आकर बैठ जाते थे। आज भी यह वृक्ष ग्रामीणों के लिए पूजनीय बना हुआ है। पेड़ के नीचे न केवल ग्रामीणों को शीतल छाया मिलती है, बल्कि इसकी छत्र छाया में ग्रामीणों की जरूरी बैठकें भी होती हैं। गांव में आने वाले राहगीर भी इस पेड़ की छाया में विश्राम करते हैं। गर्मियों के दिनों में इसकी ठंडी छाया किसी वरदान से कम नहीं। गांव में खुशी का पल हो या कोई धार्मिक अनुष्ठान गांव वाले इस प्राचीन वृक्ष की पूजा करना नहीं भूलते। गांव के लोग इस वृक्ष की सुखी टहनियों को तोड़ना या जलाना पाप मानते हैं। बुजुर्गो का मानना है कि इस पेड़ की टहनियों को तोड़ने या जलाने से संबंधित व्यक्ति को नुकसान होता है। गांव वाले इस पेड़ को पवित्र पेड़ मानकर इसकी पूजा करते हैं। विश्व प्रसिद्ध फल्गु तीर्थ पर मेला अवधि के दौरान इस बरगद को लाइटों से विशेष रूप से सजाया जाता है।
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