नहीं रहे कमेरों की राजनीति के पुरोधा, जानें कौन थे शमशेर सिंह सुरजेवाला
शमशेर सिंह सुरजेवाला लंबे समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रदेश की राजनीति में युवाओं को मौका देने का काम किया।
कैथल [पंकज आत्रेय]। लंबे समय तक अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे शमशेर सिंह सुरजेवाला नहीं रहे। करीब चार माह से वे मौन अवस्था में थे। सुरजेवाला मूलत: नरवाना खंड के गांव सुरजा खेड़ा के रहने वाले थे। निधन के समय उनके इकलौते पुत्र कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला साथ थे।
शिक्षा
शमशेर सिंह सुरजेवाला का जन्म गांव सुरजा खेड़ा में 24 मार्च 1932 को एक किसान परिवार में हुआ। उनके पिता चौधरी गंगा सिंह खेतीबाड़ी करते थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब के संगरूर में हुई। स्कूलिंग से ही उनका रुझान राजनीति की तरफ था और वे कांग्रेस के विचारधारा से प्रभावित थे। राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने के चलते उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एजेंडे के लिए संगरूर के शासक द्वारा यादविंद्र स्टेट हाई स्कूल से निष्कासित भी कर दिया गया था। उन्होंने बीए एलएलबी तक की पढ़ाई की और कुछ समय तक उन्होंने वकालत भी की।
राजनीतिक करियर
शमशेर सिंह सुरजेवाला प्रदेश के कद्दावर नेता रहे। वे अलग-अलग विधानसभा सीटों से पांच बार विधायक और एक बार सांसद रहे हैं। वर्ष 1967, 1977, 1982 और 1991 में नरवाना से और वर्ष 2005 में नरवाना के आरक्षित सीट होने के चलते उन्होंने कैथल से चुनाव लड़ा। एक बार उन्हें राज्यसभा के चुना गया।
राजनीतिक जिम्मेदारियां
शमशेर सिंह सुरजेवाला लंबे समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रदेश की राजनीति में युवाओं को मौका देने का काम किया। बड़े सुरजेवाला के नाम से जाने जाने वाले शमशेर सिंह सुरजेवाला युवाओं को खासी तवज्जो देते रहे। वे चार बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। दो बार आइसीएआर के सदस्य और हरियाणा कृषक समाज के प्रदेशाध्यक्ष रहे।
व्यवसाय
सितंबर 1957 में उन्होंने आपराधिक कानून और न्यायशास्त्र में विशेषज्ञता वाले एक वकील के रूप में अपना कानून अभ्यास शुरू किया, लेकिन 1959-60 में केंद्रीय सहकारी बैंक, संगरूर के प्रबंध निदेशक और फिर पंचायत समिति के अध्यक्ष, कलायत ( अब 1961 में जिला कैथल में) और फिर 1964 में। 1993 में भारतीय संसद के लिए चुने गए एक अनुभवी सांसद भी रहे।
जुबान के धनी रहे शमशेर
शमशेर सिंह सुरजेवाला के बारे में राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में एक बात मशहूर रही। उनके पास आने वाले लोगों के काम करवाने में वे हमेशा तत्पर रहते थे। जिस भी काम के लिए उन्होंने पहली बार में हामी भर दी, वह पूरा करवा कर ही दम लेते थे और जो काम नहीं हो सकता था, वह पहले ही स्पष्ट कर दिया करते थे। उनकी स्पष्टवादिता की चर्चा हमेशा रही। जिस वक्त देश में किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला बढ़ चला था, उन्होंने सत्ता में आने पर किसानों के 74000 करोड़ रुपये माफ करवाने के फैसले में अहम भूमिका निभाई थी।
समोसे और परांठे के शौकीन थे
शमशेर सिंह सुरजेवाला को खाने और खिलाने का बड़ा शौक था। वे 80 वर्ष की आयु में भी समोसे और परांठे खाना नहीं छोड़ते थे। समोसे खाने के वे बहाने ढूंढ लिया करते थे और अक्सर अपने साथियों और मीडिया कर्मियों को नाश्ते व समोसा खाने के लिए निमंत्रण देकर बुलाया करते थे। 79 वर्ष पूरे होने पर होने पर उन्होंने कैथल के जाट ग्राउंड में एक गौरव रैली रखी थी। इसमें उन्होंने अपने समर्थकों को भावुक संबोधन देते हुए कहा था कि यह उनकी ज्यूण जग है। लोगों के मरने के बाद यह आयोजन होता है, लेकिन वे जीते जी अपने साथियों के साथ यह आयोजन कर रहे हैं।
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