अब कलायत में खुर्दबुर्द नहीं होगी सरकारी और समाज के विभिन्न वर्गो के लिए आरक्षित भूमि
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की नीति अनुसार सरकार और समाज के विभिन्न वर्गो के लिए आरक्षित भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त करवाने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह कमर कसे है।

संवाद सहयोगी, कलायत : मुख्यमंत्री मनोहर लाल की नीति अनुसार सरकार और समाज के विभिन्न वर्गो के लिए आरक्षित भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त करवाने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह कमर कसे है। इसके तहत जिला प्रशासन ने कलायत शहर में सरकारी के साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गो के लिए आरक्षित भूमि की तलाश शुरू कर दी है। भू-मालिकों को उनका हक देने के मकसद से डीसी प्रदीप दहिया ने कैथल नगराधीश गुलजार अहमद को जांच के आदेश दिए हैं। शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी के आदेश के अनुसार सीटीएम को 15 दिन के समय अंतराल में उपायुक्त कार्यालय को रिपोर्ट सौंपनी है। उपरांत आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। जनहित से जुड़े इस मुद्दे को संजीदगी से लेते हुए जिला प्रशासन गतिशीलता से कार्रवाई के रुख में नजर आ रहा है। जांच अधिकारी को निष्पक्ष और अविलंब जांच करने के आदेश जारी हुए हैं। विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं को मिलेगी गति
जिला उपायुक्त प्रदीप दहिया द्वारा सरकारी और समाज के विभिन्न वर्गो के रिजर्व जमीन का हक हकदारों को देने के लिए प्रभावी कार्रवाई शुरू कर रखी है। इस दिशा में गुहला विधानसभा में बड़े सरकारी रकबे पर दशकों से किए गए अवैध कब्जों को मुक्त करवाकर प्रशासन को बड़ी सफलता मिली थी। प्रशासन द्वारा बेशकीमती भूमि को कब्जा मुक्त करवाया जा रहा है उससे सरकार के आय के संसाधन भारी वृद्धि होगी। इससे विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं को रफ्तार देने में केंद्र और राज्य सरकार को आसानी होगी।
समाज सेवी संस्था द्वारा उपायुक्त को दी गई थी शिकायत
दो मार्च को श्री रैदास तख्त हरियाणा के पदाधिकारियों ने उपायुक्त प्रदीप दहिया के समक्ष कलायत में हड्डा रोड़ी और बच्चों के संस्कार से जुड़ी भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त करवाने की गुहार लगाई थी। पदाधिकारियों का तर्क था कि किलेबंदी के दौरान सरकार द्वारा उन्हें जो हड्डा रोड़ी और कार्यों के लिए जो भूमि अलाट की गई थी। जब उन्होंने उक्त भूमि की निशानदेही ली तो रिकार्ड से छेड़छाड़ का पहलु सामने आए।
वर्जन
जमीन से जुड़ी शिकायत पर कैथल सीटीएम को जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच अधिकारी को जांच कार्रवाई के लिए 15 दिन का समय दिया गया है।
प्रदीप दहिया, उपायुक्त।
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