'बेटा गया और रुपये भी', युवराज के पिता बोले- एजेंटों ने मेरा घर उजाड़ दिया; दोषियों को मिले फांसी की सजा
युवराज के पिता ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उनके बेटे के अपहरण के मामले में पुलिस ने आरोपियों का साथ दिया। उन्होंने बताया कि कैथल पुलिस ने कोई सहयोग नहीं किया, जिसके बाद उन्होंने मामले को करनाल स्थानांतरित करवाया। उनका कहना है कि अगर पुलिस समय पर कार्रवाई करती तो उनका बेटा बच सकता था। इस मामले में उनके 45 लाख रुपये खर्च हो गए।
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युवराज के पिता बोले- एजेंटों ने मेरा घर उजाड़ दिया। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, कैथल। विदेशों में डॉलर कमाने के लालच में प्रदेश के युवा फर्जी एजेंटों के चक्कर में फंस रहे हैं। ये युवा न केवल मां-बाप की जीवन भर की पूंजी गंवा रहे हैं, बल्कि उन्हें जीवन भर का दुख भी दे रहे हैं। फर्जी एजेंटों के कारण प्रदेश में दर्जनों घर उजड़ चुके हैं। फर्जी एजेंटों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
कैथल के गांव मोहना निवासी युवराज के पिता कुलदीप सिंह व मां सरबजीत कौर ने कहा कि एजेंटों ने हमारा घर उजाड़ दिया, रुपये भी गया और बेटा भी चला गया। कुलदीप ने बताया कि हमने जमीन बेचकर और लोन लेकर एजेंटों को दिए थे। एक नंबर में बेटे को अमेरिका भेजने की बात हुई थी। बाद में एजेंटों ने बेटे युवराज को डंकी रूट से भेज दिया। एजेंटों ने ही डोंकरों से मिलकर बेटे का अपहरण करवा दिया। एजेंटों के कहने पर 24 लाख रुपये दिए।
रुपये देने के बाद भी बेटे की कोई जानकारी नहीं मिल रही थी। हमने एजेंटों को कहा था कि पूरे रुपये ले लो बच्चे को वापस भेज दो, लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया। पीड़ित परिवार ने तीनों एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने सीआइए को केस देने की बजाय इक्नामिक्स सेल में भेज दिया, यहीं से केस बिगड़ गया कुलदीप सिंह ने कहा कि अक्टूबर 2024 में एजेंटों से 37 लाख रुपये में बेटे को अमेरिका भेजने की बात हुई थी, वहां पहुंचने पर रुपये देने थे, तीनों एजेंट नवजोत दुसैण, जोंगेंद्र चीमा करनाल और नवनीत उर्फ नीटू हसनपुर कुरुक्षेत्र ने शुरुआत से हमें धोखे में रखा।
नवंबर 2024 में गुयाना तक युवराज और पंजाब के लड़के साहिब को जहाज में लेकर गए। इसके बाद कहा कि जंगलों में पैदल की बजाय गाड़ियों में लेकर जाएंगे। 16 लाख रुपये भेज दो। हमने रुपये दे दिए, इसके बाद युवकों को मैक्सिको के पास ग्वाटेमाला में बंधक बना लिया। 16 दिसंबर को वीडियो काल कर डोंकरों ने 20 हजार डालर मांगे। डालर नहीं भेजने पर दोनों बच्चों को मारने की धमकी दी। उसी समय आठ लाख रुपये भेजे, इसके बाद बच्चों से बात नहीं हुई।
पुलिस को शिकायत दी, उस समय के तत्कालीन एसपी रहे राजेश कालिया ने केस को इक्नामिक्स सेल में ट्रांसफर कर दिया, जबकि हम रुपये नहीं, बेटा वापस लाने की मांग कर रहे थे। एजेंटों ने इक्नामिक्स सेल में मेरी पत्नी को भी गालियां दीं। आरोप है कि पुलिस पीड़ित की बजाय आरोपित का साथ दे रही थी।
तीन माह कैथल पुलिस ने कोई सहयोग नहीं किया, इसके बाद केस को करनाल ट्रांसफर करवाया। वहां के एसपी गंगाराम पुनिया ने पूरा सहयोग किया। युवराज के पिता कुलदीप ने बताया कि समय रहते कैथल पुलिस एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई कर देती तो हमारा बच्चा बच सकता था। इसके बाद बच्चे की मौत की सूचना आई। कुल मिलाकर हमारे 45 लाख रुपये लग गए और बच्चे को भी मार दिया।

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