लगभग दो हजार सैंपल ले चुके हैं लैब तकनीशियन सतीश कुमार
पीएचसी देवबन में तैनात लैब तकनीशियन सतीश कुमार कोरोना योद्धा बनकर फ्रंट लाइन में काम कर रहे है। अब तक दो हजार के करीब कोरोना के सैंपल ले चुके हैं। उनकी पिछली एक साल से कोरोना महामारी में सैंपल लेने के लिए ड्यूटी लगी हुई है। उनके सैंपलों में से 20 के करीब कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके है। वे बताते है कि कोरोना एक भयानक बीमारी है।

जागरण संवाददाता, कैथल:
पीएचसी देवबन में तैनात लैब तकनीशियन सतीश कुमार कोरोना योद्धा बनकर फ्रंट लाइन में काम कर रहे है। अब तक दो हजार के करीब कोरोना के सैंपल ले चुके हैं। उनकी पिछली एक साल से कोरोना महामारी में सैंपल लेने के लिए ड्यूटी लगी हुई है। उनके सैंपलों में से 20 के करीब कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके है। वे बताते है कि कोरोना एक भयानक बीमारी है। इससे बचने के लिए सैंपल लेते समय काफी सतर्कता बरतने पड़ती है। पहले पीपीई किट पहनते है, उसके बाद सैंपल लिए जाते है। सैंपल लेने के बाद लैब में परीक्षण करते हैं, जो एंटीजन टेस्ट होते हैं। आरटी पीसीआर टेस्ट की पैकिग करके बड़ी सावधानी से जिला अस्पताल कैथल भेजते हैं। सैंपलों की पैकिग करते समय संक्रमित होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। जब से सैंपलिग में ड्यूटी लगी हुई है, तभी से मास्क के बिना नहीं रहते है। ताकि उनसे मिलने वाला कोई सदस्य संक्रमित न हो।
यह रहती है दिनचर्या :
सतीश ने बताया कि 24 घंटे उच्चाधिकारियों के संपर्क में रहते है। जहां पर भी ड्यूटी लगाई जाती है, वहां पर पहुंच जाते है। आठ बजे ही अपनी ड्यूटी पर तैनात हो जाते है। 10 बजे के करीब सैंपल लेने का काम शुरू कर देते है। दिनभर सैंपल लेते रहते है। आसपास के गांवों में बनाएं गए कंटेनमेंट जॉन से भी सैंपल लेकर आ रहे है। इस कार्य के दौरान हेल्प के तौर पर वार्ड अटेंडेंट भी साथ रहते हैं। घर पर जाने से पहले अपने कपड़ों को खुद वॉश करते है। उसके बाद स्नान करते है। घर में भी परिवार के सदस्यों से ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाकर रहते है। उनका कहना है कि बीमारी से बचने के लिए कोरोना के नियमों का पालन करें। मास्क व दो गज की जरूरी आवश्यक है।
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