पराली जलाने से रोकने के लिए कृषि विभाग की जागरूकता मुहिम, किसानों को बताए नुकसान
कृषि विभाग किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है। अधिकारियों ने पाई भाणा करोड़ा व सिरसल गांवों का दौरा किया। किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान बताए गए और फसल अवशेष प्रबंधन के लाभ बताए गए। पराली जलाने पर जुर्माने और मुआवजा रद्द होने की जानकारी भी दी गई। विभाग ने किसानों से पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करने की अपील की।

संवाद सूत्र, पूंडरी। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की तरफ से किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उप मंडल कृषि अधिकारी डॉ. सतीश नारा के निर्देशानुसार विभागीय अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को समझा रहे हैं कि धान की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेषों को आग न लगाएं।
इसी कड़ी में पूंडरी के पाई, भाणा, करोड़ा व सिरसल का दौरा कर किसानों को जागरूक किया गया। कृषि अधिकारी डा. बलवान सिंह ने बताया कि पराली जलाने से वातावरण प्रदूषित होता है और मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित होती है। इससे अगली फसल की पैदावार पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
इसके अलावा आग लगाने से हमारे मित्र कीट भी नष्ट हो जाते है। उन्होंने कहा यदि कोई किसान फसल अवशेष प्रबंधन करता है तो उसको 1200 रुपये प्रति एकड़ की सहायता राशि दी जाती है किसान को अपनी फसल पंजीकरण मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर करना अनिवार्य है।
डॉ. सिंह ने आगे बताया कि यदि कोई किसान पराली जलाता है तो उसकी जमीन रेड जोन में दर्ज हो जाएगी। ऐसे किसान अगले दो साल तक फसल का कोई मुआवजा या मुआवजे से जुड़ी राहत नहीं ले पाएंगे।
नियमों के उल्लंघन पर 5000 से 15000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे किसी भी स्थिति में पराली को आग न लगाएं। फसल अवशेष प्रबंधन के आधुनिक साधनों को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करें।
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