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    हर सुख-दुख में शामिल होती थीं स्मिति चौधरी, कैसे अचानक हुई लेडी IPS की मौत? पति महाराष्ट्र पुलिस में हैं IG

    Updated: Sat, 28 Jun 2025 10:53 PM (IST)

    आईपीएस स्मिथि चौधरी जिनका हाल ही में निधन हो गया की ससुराल कैथल के गांव गढ़ी में है। वे अंबाला एंटी क्रप्शन ब्यूरो में एसपी थीं। उनका विवाह 1998 में हुआ था और उनके दो बच्चे हैं। गांव में उनका व्यवहार मिलनसार था और वे पारिवारिक कार्यक्रमों में शामिल होने आती थीं। गांव में उनके ससुर के पिता के नाम पर एक भवन भी बना हुआ है।

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    लेडी आईपीएस स्मिति चौधरी का निधन। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, कैथल। आईपीएस स्मिति चौधरी का दो दिन पहले ही बीमारी के कारण निधन हो गया। स्मिति की ससुराल कैथल के गांव गढ़ी में है। उनके पति राजेश कुमार इस समय महाराष्ट्र पुलिस में आइजी हैं। इस समय वे नासिक में रहते थे और वहीं स्मिति ने अंतिम सांस ली थी।

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    स्मिति चौधरी अंबाला एंटी क्रप्शन ब्यूरो एसपी के पद पर कार्यरत थी। उनका मायके जींद के गांव डूमरखां में है और 15 अगस्त 1976 को उनका जन्म हुआ था।

    गांव गढ़ी निवासी दलबीर सिंह ने बताया कि स्मिति रिश्ते में उनकी चाची लगती थीं। वे गांव के हर सुख-दुख में शामिल होती थी। पिछले साल भी वे तीज के पर्व को लेकर गांव में आई थी।

    वे अपनी ननद के घर कैथल, चीका और नरवाना में कोथली का सामान भी देकर आई थी। करीब साढ़े चार साल पहले उनके ससुर दीनानाथ की मौत हुई थी तो उनका अंतिम संस्कार गांव गढ़ी में किया गया था। उस समय भी वे गांव में आई थी।

    उनका एक घर कैथल शहर में करनाल रोड बैंक वाली गली में भी है। एक घर मोहाली में आइपीएस सेक्टर में भी है। गांव गढ़ी निवासी परिवार से ही उनके जेठ लगने वाले बदन सिंह ने बताया कि उनके चचेरे भाई राजेश कुमार और स्मिति की शादी साल 1998 में हुई थी।

    उस समय स्मिति की मां जयवंती श्योकंद कैथल की डीसी होती थीं। कैथल डीसी आवास नहर कालोनी में होता था और उनके आवास पर ही शादी हुई थी। तब पूरे गांव को शादी का न्योता दिया गया था। बड़े अधिकारी और राजनेता भी शादी में शामिल हुए थे।

    गांव गढ़ी में बना हुआ है हरनाथ भवन

    शादी के बाद स्मिति और राजेश के दो बच्चे हुए। दोनों महाराष्ट्र में ही पिता के पास रह रहे हैं। बड़ी बेटी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। जबकि बेटा अभी स्कूल में है।

    स्मिति चौधरी के ससुर यानी राजेश के पिता दीनानाथ कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरियन रहे हैं। तभी से उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश बेहतर से बेहतर करने के बारे में सोच लिया था। स्मिति की सास चंद्रपति हाउस वाइफ थीं।

    करीब चार साल पहले दीनानाथ और इनके दो साल बाद ही चंद्रपति का निधन हो गया था। राजेश के भाई राकेश कुमार इस समय नूंह में जिला पंचायत अधिकारी (डीडीपीओ) के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्मिति और राजेश की नौकरी शुरू से शहर से बाहर रही है।

    इसलिए दोनों हमेशा बाहर ही रहे हैं। वे पारिवारिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए ही गांव आते हैं। गांव में उनका व्यवहार काफी मिलनसार रहा। बता दें कि गांव गढ़ी में स्मिति के ससुर के पिता हरनाथ के नाम से भवन भी बना हुआ है। यहां गांव के बुजुर्ग और परिवार के लोग बैठते हैं।