जीएएमएस-बीएएसएम चिकित्सकों को सर्जरी के कोर्स की परमिशन पर बिफरी आइएमए
जागरण संवाददाता कैथल आयुर्वेद का कोर्स कर मेडिकल प्रैक्टिस करने वाले जीएएमएस और बीएएमए ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कैथल : आयुर्वेद का कोर्स कर मेडिकल प्रैक्टिस करने वाले जीएएमएस और बीएएमएस डाक्टरों को आठ माह का कोर्स करने के बाद सर्जरी करने का भी अधिकार देने के विरोध में डॉक्टरों ने हड़ताल की। यह हड़ताल सरकार के इस निर्णय के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले की गई। जिस कारण शुक्रवार को सभी प्राइवेट डाक्टर हड़ताल पर रहे। हड़ताल के कारण सभी अल्ट्रासाउंड केंद्र और एक्सरे केंद्र भी बंद रहे। इनके बंद होने के कारण यहां पहुंचने वाले मरीजों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा और वह बिना अल्ट्रासाउंड करवाए ही वापस लौट गए। आइएमए के प्रधान डा. विनोद मित्तल का कहना है कि सरकार ऐसा करके गलत कर रही है। आठ महीने का कोई भी कोर्स करके कोई कैसे एमबीबीएस डाक्टर की बराबरी कर सकता है। दूसरी तरफ आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए शुक्रवार को ओपीडी जारी रखी। इसके बाद दोपहर को आइएमए के एक प्रतिनिधिमंडल ने नायब तहसीलदार को प्रधानमंत्री के नाम मांगों को एक ज्ञापन भी सौंपा।
अल्ट्रासाउंड और एक्सरे केंद्र पूरी तरह से बंद रहे
वहीं, आइएमए की हड़ताल के कारण शहर में सभी अल्ट्रासाउंड और एक्सरे केंद्र पूरी तरह से बंद रहे। इन केंद्रों पर पहुंचने वाले लोगों को बिना अल्ट्रासाउंड करवाए और एक्सरे करवाए ही वापस लौटना पड़ा। पार्क रोड स्थित अल्ट्रासाउंड केंद्र पर पहुंचे संजय ने बताया कि उसे पेट में पत्थरी है, जिसके लिए वह गांव कांगथली से अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए यहां पहुंचा था, उन्हें हड़ताल को लेकर कोई जानकारी नहीं थी, जिस कारण वह काफी परेशान हुआ। शहर में कोई भी अल्ट्रासाउंड केंद्र खुला नहीं मिला। एक्सरे करवाने पहुंची महिला सुनीता रानी ने बताया कि उसके घुटने में दर्द रहता है, डाक्टरों ने उसे एक्सरे करवाने के लिए कहा था, जिसके चलते वह एक्सरे करवाने के लिए अंबाला रोड पर पहुंची थी, लेकिन यह केंद्र बंद मिला। उसे काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा।
एलोपैथी दवाएं प्रयोग करते हैं : डा. मित्तल
आइएमए के प्रधान डा.विनोद मित्तल का कहना है कि आठ माह का कोई कोर्स करके जीएएमएस-बीएएमएस को सर्जरी करने का अधिकार देना कतई सही नहीं है। यह कहने मात्र को ही आयुर्वेदिक डाक्टर हैं, लेकिन यह सभी एलोपैथी दवाएं इस्तेमाल करते हैं। इससे पहले भी सरकार ने इन्हें अल्ट्रासाउंड करने की परमिशन देने की योजना बनाई थी, लेकिन तब भी आइएमए के विरोध के चलते इसे वापस लेना पड़ा था। अब भी अगर इस योजना को वापस नहीं लिया गया तो कोई भी चिकित्सक ओपीडी नहीं करेगा।
किसी की बपौती नहीं चिकित्सा-डा.ठुकराल
नीमा के पूर्व प्रधान डा. राजेंद्र ठुकराल ने कहा कि आयुर्वेद में आने वाले विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर स्तर पर सर्जरी का कोर्स कराने की योजना सरकार की है। इसके लिए सरकार को साधुवाद देते हैं, जिसने भारत की मिट्टी में पैदा होने वाले औषधियों को प्रमोट करने के लिए आयुर्वेद को तरजीह दी। अंग्रेजी में पढ़ाई करने वाले नहीं चाहते कि हिदी और हिदुस्तानी पद्धति में चिकित्सा पद्धति मजबूत हो। अंग्रेजों के तरीके से डिग्री लेने वाले अपनी मोनोपली टूटने नहीं देना चाहते। उन्हें समझ जाना चाहिए कि चिकित्सा पद्धति किसी की बपौती नहीं। देश का गरीब आदमी आज इलाज कराने से डरता है। कोरोना काल में इन चिकित्सकों ने तीन-तीन हजार रुपये कंसलटेंसी फीस वसूली और सीधे पेटीएम से पेमेंट ली।

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