कैथल में तेजी से बढ़ रहे HIV के मामले, 3264 पहुंची मरीजों की संख्या; 2497 एक्टिव केस
कैथल जिले में एचआईवी मरीजों की संख्या में पिछले एक साल में काफी वृद्धि हुई है जिसमें बच्चों में भी मामले बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग एआरटी सेंटर चला रहा है और लोगों को जागरूक कर रहा है। पूंडरी क्षेत्र में नशाखोरी के कारण एचआईवी के मामले अधिक हैं। लापरवाही और नशे के कारण बीमारी फैल रही है।
जागरण संवाददाता, कैथल। जिले में पिछले एक साल में एचआईवी मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। जहां वर्ष 2023 में 2800 मरीज सामने आए थे, वहीं वर्ष 2024 में मरीज थे, जो इस साल बढ़कर 3264 तक पहुुच गए हैं। इनमें से 2497 मरीजों की अस्पताल से दवाई चल रही है। 18 साल से कम आयु के 98 मरीज हैं। यह बीमारी बच्चों में भी तेजी से बढ़ रही है।
वहीं, वर्ष 2017 से लेकर अब तक 332 मरीजों की एचआईवी से मौत हो चुकी है। बता दें कि जिले के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर चलाया जा रहा है। इसमें एचआईवी मरीजों को दवा दी जाती है।
वहीं, विभाग की तरफ से मरीजों को बीमारी से बचाव को लेकर जागरूक किया जाता है। विभाग के अनुसार जिले में कैथल, गुहला, कलायत व पूंडरी में भी आईसीटी सेंटर बनाया गया है। पूंडरी क्षेत्र में एचआईवी के केस ज्यादा है, इस कारण नशा का बढ़ता प्रभाव है। नशा के आदी लोग इंजेक्शन लगाने के लिए एक सुई का बार-बार प्रयोग करते हैं, जो बीमारी का शिकार बन रहे हैँ।
ऐसे फैलती है बीमारी
लापरवाही के चलते एचआईवी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। संक्रमित मरीज से दूसरे व्यक्ति के इसकी चपेट में आना, लगातार बढ़ रही नशे करना के सीरिंज का प्रयोग करने के साथ-साथ माता से शिशु के बीच संक्रमण फैलना है।
मरीजों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार स्क्रीनिंग करता है। जांच के लिए जिला नागरिक अस्पताल के साथ-साथ सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी जांच हो रही है। पुष्टि होने के बाद नागरिक अस्पताल में खोले गए एआरटी सेंटर में मरीजों की काउंसलिंग कर दवाई दी जाती है।
एचआईवी के लक्षण
- -तेजी से वजन कम होना
- -थकान होना
- -मुंह में छाले पड़ना
- -बुखार होना
- -रात के समय ज्यादा पसीना आना
- -त्वचा का रंग बदलना।
जिला नागरिक अस्पताल में चल रहे ओएसटी ( ओपीओइड सब्सटिट्यूशन थेरेपी) सेंटर में नशा छोड़ने के लिए बोपरेनूफीन की गोली खिलाई जाती है। इस गोली को रोजाना लेने के लिए नशे के आदी लोगों को अस्पताल में आना पड़ता है, क्योंकि नशा के मरीजों को यह गोली केंद्र की तरफ से देने पर प्रतिबंध है।
ऐसे में मरीजों को गोली खाने के लिए अस्पताल आना पड़ता है, लेकिन नशा छोड़ने वाले लोग इसे लेकर गंभीर नहीं है। अब तक मात्र 250 लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है। इनमें से भी मात्र 40 से 45 लोग ही रोजाना गोली खाने के लिए अस्पताल में आ रहे हैं, अन्य लोग गोली खाने के लिए कभी-कभार ही अस्पताल आते हैं।
तीन हजार के पार पहुंची मरीजों की संख्या: डॉ. कंसल
जिला नागरिक अस्पताल के जिला चिकित्सा अधिकारी डा. दिनेश कंसल ने बताया कि एचआईवी एड्स की बीमारी से बचाव के लिए ओएसडी केंद्र बनाया गया है। यहां पहुंचकर कोई भी व्यक्ति बीमारी का इलाज करवा सकता है। इससे बचाव के लिए विभाग लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
मरीजों को निशुल्क दवाई दी जाती है। इस बीमारी के पीड़ित को 2250 रुपये की राशि भी आर्थिक सहायता के रूप में दी जाती है। मरीजों की संख्या तीन हजार के पार पहुंच गई है। इनमें 18 साल से आयु के युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। बीमारी से बचाव को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
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