कैचल में बिना NoC के धड़ल्ले से चल रहे कोचिंग सेंटर, नियमों की खुलेआम उड़ रहीं धज्जियां, सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं
शहर में कई कोचिंग सेंटर नगर परिषद से नक्शा पास कराए बिना चल रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है। इससे छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। नगर परिषद को ऐसे कोचिंग सेंटरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि नियमों का पालन सुनिश्चित हो सके और छात्रों की सुरक्षा बनी रहे।

शहर में नगर परिषद से बिना नक्शा पास करवाए काेचिंग सेंटर चल रहे हैं। (जागरण फोटो)
सुनील जांगड़ा, कैथल। शहर में नगर परिषद से बिना नक्शा पास करवाए काेचिंग सेंटर चल रहे हैं। इन पर कार्रवाई को लेकर अप्रैल 2025 में शहरी स्थानीय निकाय विभाग की तरफ से एक पत्र जारी किया गया था।
उसमें लिखा था कि बिना अनुमति और बिना नक्शा पास करवाने कोचिंग सेंटरों को सील किया जाए। अभी तक भी नगर परिषद या किसी अन्य विभाग की तरफ से इन सेंटरों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। संबंधित विभाग मात्र नोटिस देने तक ही सीमित रह चुके हैं। कार्रवाई करने के लिए तीन विभागों की जिम्मेदारी तय की गई थी। नगर परिषद, जिला नगर योजनाकार विभाग और उच्चतर शिक्षा विभाग की टीमें बनाई गई थी।
जिले भर में करीब 100 कोचिंग सेंटर चल रहे हैं, लेकिन ज्यादातर के पास संबंधित विभागों से अनुमति नहीं है। कुछ कोचिंग सेंटर तो किराए के भवन में चल रहे हैं और उन भवन मालिकों ने भी नक्शा पास नहीं करवाया हुआ है। इन सेंटरों पर हजारों की संख्या में युवा परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए आते हैं। संचालकों के पास ना तो किसी विभाग से अनुमति है और ना ही आगजनी से निपटने को लेकर उचित प्रबंध हैं।
अगर इनमें कोई हादसा हो जाता है तो बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसे में अब निदेशालय की तरफ से इन पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। नगर परिषद की तरफ से एक टीम का गठन करके जल्द ही कोचिंग सेंटरों का निरीक्षण किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। रिपोर्ट तैयार करने के बाद इन्हें नोटिस जारी किए जाने थे। नोटिस के बाद भी अनुमति ना लेने वाले कोचिंग सेंटरों को सील करना था।
कागजात पूरे नहीं कर रहे संचालक
शहर ज्यादातर सेंटर अंबाला रोड, ढांड रोड और करनाल रोड पर हैं। हालांकि पहले भी कई बार सेंटर संचालकों को नोटिस दिए जा चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी कोई संचालक कागजात पूरे नहीं कर रहे हैं। ये सेंटर दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिलों पर चल रहे हैं। ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां भी कम जगह वाली होती हैं। इसको लेकर प्रशासन भी गंभीर नहीं हैं। अगर इन संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए तो संचालक एनओसी ले लेंगे।
क्यों जरूरी है एनओसी?
कोई भी ऐसा सरकारी या निजी भवन जहां लोगों का ज्यादा आना-जाना रहता है, उसके लिए दमकल विभाग सहित अन्य विभागों से एनओसी लेनी जरूरी होती है। भवन मालिक की तरफ से आगजनी से निपटने के लिए उपकरण रखे जाते हैं ताकि आपातकाल स्थिति में उपकरणों का इस्तेमाल कर जान और माल की ज्यादा हानि होने से रोकी जा सके। अगर ये उपकरण भवन में ना हों तो दमकल विभाग की गाड़ी पहुंचने तक कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।
मैरिज पैलेस संचालक भी नहीं ले रहे एनओसी
इनके अलावा शहर में 26 मैरिज पैलेस में से मात्र सात या आठ के पास ही दमकल विभाग की एनओसी है। करीब 60 होटल, ढाबा में से मात्र 18 के पास ही एनओसी है। दमकल विभाग के सर्वे के अनुसार शहर में ढ़ाई हजार भवन बने हुए हैं।
इन भवनों में निजी और सरकारी स्कूल, कालेज, अस्पताल, मैरिज पैलेस, होटल, कोचिंग सेंटर, सिनेमा हाल और तीन से चार मंजिला भवन ही शामिल हैं। इनमें से करीब 500 भवन मालिकों ने ही फायर विभाग से एनओसी ली है।
शहर में जितने भी कोचिंग सेंटर चल रहे हैं सभी की जांच को लेकर एक टीम का गठन किया जाएगा। संचालकों ने नक्शा पास करवाया हुआ है या नहीं और संबंधित विभागों से अनुमति ली हुई है या नहीं यह सब चेक किया जाएगा। चेकिंग के बाद संचालकों को नियमानुसार नोटिस दिए जाएंगे। निदेशालय की तरफ से जो पत्र आया था उसके बारे में भी जानकारी ली जाएगी।
- कपिल कुमार, जिला पालिका आयुक्त कैथल।
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