कैथल में धान की फसल के अवशेष जलाने पर रोक, धारा 163 लागू
कैथल की जिलाधीश प्रीति ने जिले में धान की फसल के अवशेषों को जलाने पर तत्काल रोक लगा दी है। यह आदेश 15 सितंबर से 30 नवंबर 2025 तक लागू रहेगा। फसल अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण दुर्घटनाओं का खतरा और भूमि की उर्वरता में कमी होती है। किसानों से अवशेषों का उचित प्रबंधन करने का आग्रह किया गया है।

जागरण संवाददाता, कैथल। जिलाधीश एवं डीसी प्रीति ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत जिला की सीमा में तुरंत प्रभाव से धान की फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जलाने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं।
यह आदेश 15 सितंबर से 30 नवंबर 2025 तक लागू रहेंगे। जिलाधीश ने कहा कि खरीफ फसलों की कटाई को कार्य शुरू होने वाला है। फसलों की कटाई उपरांत कुछ किसान खेतों में बचे हुए फसल अवशेषों को आग लगा देते हैं, जिस कारण वायु प्रदूषण होता है और वायु प्रदूषण अधिक होने से आंखों में जलन, चमड़ी के रोग व आमजन मानस को सांस लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
डीसी ने बताया कि कई बार अवशेषों में आग लगाने से उत्पन्न हुए धुएं के कारण राजमार्गों पर दुर्घटना भी हो जाती है। खेतों ने चर रहे मवेशी भी आग की चपेट में आ जाते हैं। फसल अवशेष में आग लगाने से चारे की कमी भी हो जाती है और भूमि की ऊपरी सतह जलने के कारण सूक्ष्म जीव एवं मित्र कीट मर जाते हैं।
भूमि की उपजाऊ शक्ति भी कमजोर हो जाती है। फसल अवशेषों में आग लगने के कारण जान माल की हानि होने का भी खतरा बना रहता है। इसलिए कोई भी किसान एवं आमजन धान के बचे हुए अवशेषों में आग न लगाएं, बल्कि इसका सही तरीके से प्रबंधन करें।
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