एनसीडी के तहत बीमारियों की जांच को लेकर अलग से बनाया रूम, एक माह में 132 केस शुगर के आए सामने
एनसीडी के तहत बीमारियों की जांच को लेकर अलग से बनाया रूम एक माह में 132 केस शुगर के आए सामने बीमारियों की पहचान हो इसके लिए बनाया गया है अलग से रूम ...और पढ़ें

-बीमारियों की पहचान हो, इसके लिए बनाया गया है अलग से रूम
जागरण संवाददाता, कैथल : जिला नागरिक अस्पताल में एनसीडी (नान कम्युनिकेबल डिजीज) सेंटर की शुरुआत की गई है। पोर्टेबल अस्पताल में यह खोला गया है। यहां दो स्टाफ नर्स व एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई है। यहां बीपी, शुगर की जांच होगी। इसके बाद चिकित्सकों के पास इलाज के लिए भेजा जाएगा। इस सेंटर को खोलने का मुख्य उद्देश्य एक तो शुगर व बीपी के मरीजों की पहचान हो सकेगी, दूसरा मरीजों को भी इसकी जांच को लेकर चक्कर नहीं काटने पडें़गे। बता दें कि जिले में एनसीडी की शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी, लेकिन कोरोना महामारी आने के बाद यह कार्यक्रम रोका गया था। इसके तहत घर-घर सर्वे भी होना था। जिले में शुगर व बीपी के मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है, लेकिन विभाग के पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है। इसकी पहचान को लेकर यह रूम जांच के लिए अलग से बनाया गया है।
पोर्टेबल अस्पताल में बनाया है रूम, दो स्टाफ नर्सों की नियुक्ति
एनसीडी रूम पोर्टेबल अस्पताल में बनाया गया है। इस रूम में दो स्टाफ नर्स व एक हेल्पर की नियुक्ति की गई है। रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद मरीजों को शुगर व बीपी के लिए कह जता है। यहां से जांच करवाने के बाद ओपीडी में इलाज के लिए मरीज जाते हैं। बता दें कि जिला नागरिक अस्पताल की लैब में पहले से ही काफी सैंपल होने के कारण बोझ बढ़ रहा है, इसे कम करने के लिए इस तरह की जांच को लेकर अलग से केंद्र बनाया गया है। जिला अस्पताल 200 बेडों का है, यहां 100 बेडों का पोर्टेबल अस्पताल अलग से शुरू किया गया है।
लोगों व चिकित्सक दोनों को होगा फायदा
सिविल सर्जन डा. रेनू चावला ने बताया कि सरकार के आदेशों के अनुसार एनसीडी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत अब पोर्टेबल अस्पताल में अलग से रूम बनाते हुए बीपी, शुगर, हाइपरटेंशन की जांच हो रही है। कैंसर के यदि किसी में लक्षण है तो उसकी जांच होती है, ताकि समय रहते मरीजों का इलाज शुरू किया जा सके। उन्होंने बताया कि बीपी व शुगर के मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है। एक माह में जहां 132 केस इस बीमारी के सामने आए हैं, वहीं बीपी के भी 123 के करीब केस मिले हैं। मरीजों की पहचान कर इलाज शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस रूम के अलग बनाने से काफी फायदा हो रहा है। लोगों को जांच के लिए एक तो भीड़ नहीं होगी, दूसरा चिकित्सक को भी जांच करने में आसानी रहेगी। पहले चिकित्सक बीपी व शुगर की जांच के लिए कहते थे, लेकिन लोगों को पहले इन दोनों की जांच कर ओपीडी में जाने को कहा जाता है, ताकि चिकित्सक को इलाज करने में दिक्कत न आए।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।